उदयपुर की 55 वर्षीय रेखा बनी 17वीं बार मां, डॉक्टरों ने अब पति को नसबंदी की दी सलाह

punjabkesari.in Wednesday, Aug 27, 2025 - 02:48 PM (IST)

नारी डेस्क: सरकार ने भले ही सालों पहले 'हम दो, हमारे दो' का नारा देकर जनसंख्या नियंत्रण का संदेश दिया हो, लेकिन राजस्थान के उदयपुर जिले से आई एक खबर ने सभी को चौंका दिया है। यहां झाड़ोल इलाके की रहने वाली एक आदिवासी महिला रेखा कालबेलिया ने 55 साल की उम्र में 17वें बच्चे को जन्म दिया है।

पहले ही 16 बच्चों की मां हैं रेखा

रेखा का यह 17वां बच्चा है। इससे पहले वह 16 बच्चों को जन्म दे चुकी हैं, जिनमें से 4 बेटे और 1 बेटी की मौत जन्म के तुरंत बाद हो गई थी। बाकी के 11 बच्चे जीवित हैं, जिनमें से 5 की शादी हो चुकी है और उनके भी बच्चे हैं। रेखा अब दादी-नानी भी बन चुकी हैं।

झोपड़ी में रहने को मजबूर, पढ़ाई भी नहीं हो पाई

रेखा के पति कवरा कालबेलिया भंगार (कबाड़) बीनकर अपने परिवार का पेट पालते हैं। उनके पास रहने के लिए अपना पक्का मकान भी नहीं है। उन्होंने बताया कि बच्चों को पालने के लिए उन्हें 20% ब्याज पर साहूकार से कर्ज लेना पड़ा है। लाखों रुपये चुका देने के बावजूद कर्ज खत्म नहीं हुआ है। गरीबी और संसाधनों की कमी के कारण वे अपने बच्चों को स्कूल तक भी नहीं भेज पाए। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें घर जरूर मिला था, लेकिन जमीन उनके नाम पर नहीं होने के कारण पूरा परिवार बेघर है।

डॉक्टर भी रह गए हैरान

झाड़ोल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रेखा की डिलीवरी हुई। वहां मौजूद डॉक्टर रोशन दरांगी ने बताया कि जब रेखा अस्पताल में भर्ती हुईं, तो परिवार ने बताया कि यह चौथा बच्चा है, लेकिन बाद में जानकारी मिली कि यह 17वां बच्चा है।
अब डॉक्टरों ने रेखा और उनके पति को नसबंदी (Sterilization) के लिए समझाने का फैसला लिया है, ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति से बचा जा सके।

सरकारी योजनाएं पहुंच से दूर

यह घटना दिखाती है कि भले ही सरकार जनसंख्या नियंत्रण और शिक्षा को लेकर कई योजनाएं चला रही हो, लेकिन ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में इनका सही लाभ नहीं मिल पा रहा है। रेखा और कवरा जैसे परिवार अशिक्षा, गरीबी और जागरूकता की कमी से जूझ रहे हैं। रेखा और उसके परिवार की कहानी सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि उन हजारों आदिवासी और गरीब परिवारों की तस्वीर है जो आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। जब तक इन इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसी सुविधाएं नहीं पहुंचेंगी, तब तक केवल नारे और योजनाएं जमीनी बदलाव नहीं ला पाएंगी।  


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Content Editor

Priya Yadav

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