2 साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप न पिलाएं, केंद्र सरकार ने क्यों दी ये सलाह...
punjabkesari.in Saturday, Oct 04, 2025 - 12:34 PM (IST)

नारी डेस्क : हाल ही में मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से बच्चों की मौत की खबर ने पूरे देश में चिंता बढ़ा दी। इस मामले में केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि जांच में नमूनों में कोई डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEEG) या एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) नहीं पाया गया। ये रसायन पहले कई देशों में बच्चों की मौतों से जुड़े रहे हैं और गुर्दे को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
बच्चों की मौतों का सिलसिला
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और राजस्थान में 11 बच्चों की मौतें हुईं।
मृत बच्चों की उम्र 1 से 7 वर्ष के बीच थी।
उनमें गुर्दे के संक्रमण और पेशाब न कर पाने जैसे लक्षण पाए गए।
शुरुआती आशंका थी कि मौतें कफ सिरप से जुड़ी हो सकती हैं।
जांच रिपोर्ट और निष्कर्ष
राष्ट्रीय स्तर पर गठित विशेषज्ञ टीम ने संदिग्ध कफ सिरप के नमूनों की गहन जांच की। जांच में किसी भी नमूने में DEEG या EG नहीं पाया गया। राजस्थान की जांच में यह भी पुष्टि हुई कि संदिग्ध सिरप में प्रोपिलीन ग्लाइकॉल मौजूद नहीं था। मृतकों के रक्त और CSF नमूनों की जांच में एक मामले में लेप्टोस्पायरोसिस पॉजिटिव (Leptospirosis positive) पाया गया। उल्लेखनीय है कि यह सिरप डेक्सट्रोमेथॉर्फन (Dextromethorphon) आधारित था, जिसे बच्चों के लिए अनुशंसित नहीं किया जाता। शुरुआती निष्कर्षों के अनुसार, बच्चों की मौत का कारण सीधे तौर पर कफ सिरप नहीं पाया गया, और अन्य संभावित कारणों की जांच जारी है।
DGHS की एडवाइजरी
स्वास्थ्य मंत्रालय ने DGHS के माध्यम से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी की है।
दो साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप न दें।
छोटे बच्चों में खांसी आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाती है।
बड़े बच्चों में भी कफ सिरप का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करें।
बच्चों के लिए जलयोजन और आराम जैसे प्राकृतिक उपाय अधिक सुरक्षित हैं।
राज्यों को निर्देश दिए गए हैं कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में इन दिशानिर्देशों का प्रचार करें।
हालांकि इस समय जांच जारी है, लेकिन छोटे बच्चों में कफ सिरप का इस्तेमाल बिल्कुल न करने की सलाह अत्यंत जरूरी है। माता-पिता और स्वास्थ्य कर्मियों को इस दिशा में सतर्क रहने की आवश्यकता है।