करवा चौथ पर ये सोलह श्रृंगार बनाते हैं व्रत को खास, देखें पूरी श्रृंगार की लिस्ट
punjabkesari.in Sunday, Oct 05, 2025 - 03:18 PM (IST)

नारी डेस्क: हर साल सुहागिन महिलाओं के लिए आने वाला करवा चौथ व्रत बेहद खास होता है। यह व्रत पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। महिलाएं इस दिन पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही जल ग्रहण करती हैं। इस साल करवा चौथ का पर्व 10 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।
करवा चौथ और सोलह श्रृंगार का महत्व
करवा चौथ पर 16 श्रृंगार करना बेहद शुभ माना गया है। हिंदू परंपरा में ऐसा कहा गया है कि जो महिला इस दिन पूरे सोलह श्रृंगार करती है, उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। श्रृंगार न केवल सौंदर्य का प्रतीक है बल्कि यह एक शुभ संकेत भी माना जाता है जो स्त्री की विवाहित पहचान को दर्शाता है।
त्योहार की तैयारियां महीनों पहले से
महिलाएं इस त्योहार की तैयारियां महीनों पहले से शुरू कर देती हैं। नए कपड़े, गहने, पूजा की थाली और श्रृंगार सामग्री की खरीदारी पहले ही पूरी कर ली जाती है। इस दिन महिलाएं सुबह से ही सोलह श्रृंगार कर सजती-संवरती हैं और शाम को भगवान शिव, माता पार्वती और चंद्रमा की पूजा करती हैं।
सोलह श्रृंगार की पूरी लिस्ट
करवा चौथ पर किए जाने वाले सोलह श्रृंगार की लिस्ट में शामिल हैं
सिंदूर – विवाहित स्त्री का सबसे प्रमुख श्रृंगार, जो उसके सौभाग्य का प्रतीक है।
मेहंदी – हाथों की खूबसूरती बढ़ाने के साथ यह शुभता का संकेत देती है।
आलता – पैरों पर लगाया जाने वाला पारंपरिक रंग जो सुंदरता और पवित्रता को दर्शाता है।
कमरबंद – पारंपरिक आभूषण जो कमर को सुशोभित करता है।
पायल – पांवों की खूबसूरती और आकर्षण बढ़ाती है।
मांग टीका – माथे के बीच में लगाया जाने वाला गहना जो सौंदर्य और वैवाहिक सुख का प्रतीक है।
झुमके – कानों की सुंदरता बढ़ाने वाला मुख्य गहना।
मंगलसूत्र – पति के दीर्घायु का प्रतीक, हर विवाहित महिला का सबसे महत्वपूर्ण श्रृंगार।
बाजूबंद – हाथों को सजाने वाला पारंपरिक आभूषण।
बिछिया – पैरों की उंगलियों में पहनी जाने वाली अंगूठी जो सुहाग का प्रतीक है।
नथ – नाक में पहना जाने वाला आभूषण जो स्त्री की शोभा बढ़ाता है।
बिंदी – माथे पर लगाई जाने वाली बिंदी जो शुभता और सौंदर्य का प्रतीक मानी जाती है।
गजरा – बालों में लगाया जाने वाला फूलों का हार जो सुगंध और ताजगी का प्रतीक है।
अंगूठी – वैवाहिक प्रेम और बंधन का प्रतीक।
काजल – आंखों की सुंदरता को निखारने वाला श्रृंगार का आवश्यक हिस्सा।
चूड़ियां – हाथों की सुंदरता के साथ सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती हैं।
क्यों जरूरी है पूरा श्रृंगार करना
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ के दिन जो महिलाएं पूरे सोलह श्रृंगार करती हैं, उन्हें मां पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह श्रृंगार न केवल पति के लिए शुभ होता है बल्कि स्त्री के आत्मविश्वास और आभा को भी बढ़ाता है।
पहली बार व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए टिप्स
अगर कोई महिला पहली बार करवा चौथ व्रत रख रही है, तो इस दिन अपनी शादी का जोड़ा पहनना शुभ माना जाता है। लाल या गुलाबी रंग के परिधान को इस दिन सबसे शुभ रंग माना गया है। इसके साथ गोल्ड या कुंदन ज्वेलरी पहनना पारंपरिक लुक को और भी निखारता है।
करवा चौथ की पूजा विधि
शाम को महिलाएं करवा माता की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। चांद निकलने के बाद पति के हाथों से पानी पीकर व्रत तोड़ा जाता है। पूजा के दौरान श्रृंगार की सारी सामग्री पूजा थाली में रखी जाती है, क्योंकि यह व्रत तभी पूर्ण माना जाता है जब स्त्री श्रृंगार से सजी हो।
करवा चौथ न केवल एक धार्मिक व्रत है बल्कि यह पति-पत्नी के प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक भी है। इस दिन किया गया श्रृंगार स्त्री की सुंदरता ही नहीं बल्कि उसकी भावनाओं और संस्कृति को भी दर्शाता है। इसलिए करवा चौथ के दिन 16 श्रृंगार करना हर सुहागिन महिला के लिए शुभ और आवश्यक माना गया है।