100 साल तक नहीं जी पाएंगे ये लोग, सामने आई चौंकाने वाली स्टडी

punjabkesari.in Wednesday, Sep 03, 2025 - 04:53 PM (IST)

 नारी डेस्क: आज की बदलती जीवनशैली और खराब आदतों की वजह से लोगों की उम्र पर असर पड़ रहा है। हाल ही में हुए एक शोध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इस शोध के मुताबिक, 1939 के बाद जन्म लेने वाली कोई भी पीढ़ी औसतन 100 साल तक जीवित नहीं रह पाएगी। यह अध्ययन PNAS जर्नल में प्रकाशित हुआ है और यह 23 अमीर देशों के आंकड़ों पर आधारित है।

पहले क्या था हाल?

शोध के अनुसार, 1900 से 1938 तक हर नई पीढ़ी की जीवन प्रत्याशा में लगभग 5.5 महीने की वृद्धि होती थी। उदाहरण के लिए, 1900 में जन्म लेने वाले लोगों की औसत उम्र 62 साल थी, जबकि 1938 में जन्म लेने वालों की औसत उम्र 80 साल तक पहुंच गई। लेकिन 1939 से 2000 के बीच जन्म लेने वाली पीढ़ियों के लिए यह वृद्धि घटकर सिर्फ 3 महीने प्रति पीढ़ी रह गई।

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क्यों रुक गई उम्र बढ़ने की रफ्तार?

शोधकर्ताओं का कहना है कि पहले की तेज वृद्धि बच्चों की मृत्यु दर में कमी के कारण हुई थी। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में बच्चों की मृत्यु दर तेजी से घट रही थी क्योंकि स्वास्थ्य सेवाएं, स्वच्छता और जीवनशैली में सुधार हो रहा था। लेकिन आज बच्चों और शिशुओं की मृत्यु दर पहले से काफी कम हो गई है। इसलिए अब सिर्फ बड़ी उम्र के लोगों में सुधार लाना जीवन प्रत्याशा को उतनी तेजी से नहीं बढ़ा पाएगा।

विशेषज्ञों की राय

विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के डॉ. हेक्टर पिफारे आई अरोलस कहते हैं, "20वीं शताब्दी के पहले आधे हिस्से में जो जीवन प्रत्याशा में वृद्धि हमने देखी, वह अब दोबारा हासिल करना मुश्किल है। अगर कोई बड़ा चिकित्सीय या जैविक सफलता नहीं होती, तो जीवन प्रत्याशा पहले जैसी तेजी से नहीं बढ़ पाएगी।"

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मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के जोस एंड्रेड के अनुसार, "हमने भविष्यवाणी की है कि 1980 में जन्म लेने वाले लोग औसतन 100 साल तक नहीं जीवित रहेंगे और हमारे अध्ययन की कोई भी समूह यह मील का पत्थर नहीं छूएगी।"

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भविष्य के लिए क्या संदेश?

यह अध्ययन सरकारों, स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और पेंशन योजनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है। भविष्य की योजनाएं बनाते समय इसे गंभीरता से लेना जरूरी है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर हम अपनी जिंदगी को थोड़ा लंबा करना चाहते हैं, तो हमें अपनी जीवनशैली में सुधार करना होगा।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी शोध अध्ययनों और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है। इसे चिकित्सा सलाह का विकल्प न मानें। किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।  


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Content Editor

Priya Yadav

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