कोरोना महामारी का असर: 1 तिहाई बच्चों की पढ़ाई प्रभावित तो कई बेटियों का छूटा स्कूल

punjabkesari.in Wednesday, Feb 23, 2022 - 01:51 PM (IST)

कोरोना महामारी के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों की पढ़ाई का हुआ। भले ही इस दौरान छात्रों को ऑनलाइन क्लासेज दी जा रही थी लेकिन बावजूद इसके दुनियाभर के करीब 1 तिहाई बच्चों की पढ़ाई में बाधा आई है। ऐसा हम नहीं बल्कि हाल ही में सामने आई रिपोर्ट का कहना है , जिसके मुताबिक, देश में पहली और दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली करीब एक तिहाई स्टूडेंट्स पढ़ाई नहीं कर पाए क्योंकि उनके घर में स्मार्टफोन की सुविधा नहीं थी।

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वर्ल्ड इकोनॉमिक रिपोर्ट (WEF) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कोरोना महामारी की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे बच्चों की पढ़ाई पर सबसे अधिक असर पड़ा। ग्रामीण और पिछड़े हुए क्षेत्रों के बच्चों को पढ़ाई को काफी नुकसान पहुंचा है। ऐसे क्षेत्रों के केवल 8% बच्चे ही ऑनलाइन क्लास का हिस्सा बन पाए।

स्कूली बच्चों की पढ़ाई प्रभावित

महामारी का दुष्प्रभाव इतना ज्यादा है कि स्कूल खुलने के बाद विश्व के 3.8 करोड़ बच्चों का स्कूल छूट गया है। दुनिया के 11 देशों में 3 से 6 और 14 से 18 साल के 13.1 करोड़ बच्चे मार्च से सितंबर 2021 कर ऑनलाइन क्लासेज वाली 3 चौथाई कक्षाओं में संसाधनों के अभाव में भाग नहीं ले सके। इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हुई है।

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छूट गया बेटियों का स्कूल

कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा नुकसान लड़कियों की शिक्षा को हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी वजह से करीब 1.1 करोड़ लड़कियों की स्कूल छूट गया है, जो समानता की स्थिति कायम करने में सबसे बड़ा नुकसान है। लड़कियों के स्कूल छूटने की वजह से कम उम्र व जबरन शादी और हिंसा जैसे मामले भी काफी बढ़ने की संभावना भी है।

इंटरनेट की पहुंच बड़ी बाधा

फोरम रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में 220 करोड़ बच्चों के पास इंटरनेट नहीं था। इसमें 25 साल से कम उम्र के युवा बी शामिल है। बचा दें कि दुनिया के संपन्न देशों में इंटरनेट की पहुंच का दायरा 87 फीसदी है जबकि कम आय वाले देशों में ये सिर्फ 6 फीसदी है। दुनियाभर में 4 से 1 बच्चा जो ऑनलाइन पढ़ाई कर पाया वो ग्रामीण एरिया या गरीब परिवार से संबंध रखता है।

सबक लेने की जरूरत

WEF का कहना है कि कोरोना संकट से हर किसी को सबक लेने की जरूरत है। बच्चों और लड़कियों की पढ़ाई का रुकना देश के लिए बहुत बड़ा नुकसान है इसलिए यह किसी भी हालत में नहीं रुकना चाहिए। बच्चों की पढ़ाई ना रुके इसके लिए स्थानीय सरकारों और प्रशासन को कोशिश करनी होगी। वहीं, पिछे छूट चुके बच्चों को दोबारा स्कूल पहुंचाने की योजना बनानी होगी, ताकि भविष्य की राह को आसान बनाया जा सके।

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Content Writer

Anjali Rajput

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