Surya Grahan 2020: ग्रहण में क्यों बंद रखे जाते हैं मंदिर के कपाट?

punjabkesari.in Sunday, Jun 21, 2020 - 12:25 PM (IST)

शास्त्रों व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान खान-पान, सोने व नुकीली चीजों का इस्तेमाल करने की मनाही होती है। वहीं इस दौरान मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं। मगर, आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है। चलिए आपको बताते हैं कि सूर्य ग्रहण के दौरान क्यों बंद रखे जाते हैं मंदिर के कपाट...

500 साल बना है ऐसा संयोग

सूर्यग्रहण को वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत ही खास और महत्‍वपूर्ण माना जा रहा है। दरअसल, ग्रह और नक्षत्रों का ऐसा संयोग बनने जा रहा है जो पिछले 500 सालों में नहीं बना। इस दौरान ग्रहण कुंडलाकार या वलयाकार होगा, जिसमें चंद्रमा सूर्य को कवर कर आकाश में "आग की अंगूठी" का निर्माण होगा।

क्यों बंद रखे जाते हैं मंदिर के कपाट?

शास्‍त्रों व पुराणों के अनुसार, ग्रहण से पहले सूतक काल में भगवान की मूर्तियों को स्‍पर्श नहीं किया जाता। ऐसा मूर्तियों को ग्रहण के अशुभ प्रभाव से दूर रखने के लिए ऐसा किया जाता है। हालांकि महाकाल मंदिर के कपाट ग्रहण में बंद नहीं होते लेकिन यहां मूर्तियों को स्‍पर्श नहीं किया जाता है। वहीं आंध्र प्रदेश के चित्‍तूर में स्थित कालहटेश्‍वर मंदिर भी ग्रहण में बंद नहीं किया जाता है क्योंकि इस मंदिर के प्रमुख देवता राहु और केतु हैं।

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12 घंटे पहले ही बंद कर दिए कपाट

कोरोनाकाल में लॉकडाउन शुरू होते ही देशभर के मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए थे, जो कि हाल में करीब 10 दिन पहले खोले गए हैं। मगर, सूर्यग्रहण का सूतक आरंभ होते ही मंदिर के कपाट 12 घंटे पहले ही बंद कर दिए गए थे। यही नहीं, मंदिर के दरवाजों को ग्रहण के खत्म होने के 12 घंटे बाद ही खोला जाएगा।

क्यों लगता है सूर्यग्रहण?

विज्ञान के अनुसार, सूर्यग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना है, जिसमें चंद्रमा घूमते-घूमते सूर्य व पृथ्वी के बीच में आ जाता है। इससे सूर्य की चमकती रोशनी चंद्रमा को ढक लेती है, जिसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है।


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Content Writer

Anjali Rajput

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