अब दिखाया फेयरनेस क्रीम का एड तो जाना पड़ेगा 5 साल के लिए जेल!
punjabkesari.in Wednesday, Feb 12, 2020 - 11:06 AM (IST)
गोरेपन का क्रेज भारतीय लोगों में हमेशा से ही रहा है, खासकर महिलाओं में। यही वजह है कि भारत में फेयरनेस क्रीन और गोरेपन का विज्ञापन करने वालों के बिजनेस का काफी बोलबाला है। मगर, अब सरकार टीवी पर दिखने वाले गोरी स्किन, सफेद बाल काले, बुढ़ापे को चकमा देने, लंबाई बढ़ाने, मोटापा, यौन क्षमता बढ़ाने जैसे विज्ञापनों पर जल्द ही लगाम लगा सकती है।
जी हां, अब टीवी पर ऐसी फर्जी विज्ञापन देने वाली कंपनियों की खैर नहीं। दरसअल, सरकार ऐसे फर्जी एड्स तैयार करने वाली कंपनियों के खिलाफ शिकंजा की तैयारी में हैं। खबरें हैं, कि ऐसे विज्ञापन बनाने वाली कंपनियों पर 50 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। यही नहीं, उन्हें 5 साल तक की जेल भी हो सकती है।
सरकार जल्दी ही ऐसी फर्जी एड्स के लिए कानून बनाने जा रही है, जिसके लिए एक ड्राफ्ट बिल तैयार किया जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ड्रग्स एंड मैजिक रेमिडीज (Objectionable Advertisements Act, 1954) में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। इसमें गोरी त्वचा, सेक्स क्षमता बढ़ाने, AIDS, हकलाहट खत्म करने, महिलाओं में बांझपन खत्म करने, समय से पहले बुढ़ापे और बालों की सफेदी रोकने के लिए बेची जाने वाली दवाइयों पर रोक लगाने की बात कही गई है।
पहले इस एक्ट में 54 बीमारियां, डिसऑर्डर और कंडीशन्स के लिए दी जानी वाली दवाओं के विज्ञापन शामिल थे लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ाकर 78 कर दी जाएगी। ऐसे में अगर कोई फर्जी एड्स देता है तो उसे सेक्शन 7 के तहत 5 साल की जेल व जुर्माना 50 लाख रुपये दोनों लगाया जाएगा। पहले सिर्फ जुर्माना या 6 महीने की सजा ही ही जाती थी लेकिन अब सजा बढ़ा दी जाएगी।
जिन विज्ञापनों पर जुर्माना लगाया जा सकता है, उनमें हैं-
-त्वचा को गोरी करने वाली दवा या प्रॉडक्ट
-हकलाहट खत्म करने की दवा
-बालों की सफेदी रोकने की दवा
-एंटी-एजिंग क्रीम
-प्रीमैच्योर एजिंक के विज्ञापन
-यौन पॉवर बढ़ाने के विज्ञापन
- महिलाओं के बांझपन को खत्म करने की दवा
-बालों को बढ़ान का दावा करने का विज्ञापन
-बच्चों की हाइट बढ़ाने वाली हेल्थ ड्रिंक्स और दवाओं का विज्ञापन
-दिमाग और याद्दाश्त क्षमता बढ़ाने वाली दवाओं का विज्ञापन
-दांतों और आंखों की क्षमता बढ़ाने वाली दवाओं का विज्ञापन
क्यों ऐसे विज्ञापन दिखाती हैं कंपनियां?
अपने प्रॉडक्ट्स की ब्रिकी को बढ़ाने के लिए कंपनियां ऐसे फर्जी एड्स का सहारा लेती हैं और विज्ञापनों के जरिए प्रॉडक्ट्स की झूठी तारीफें भी करती हैं लेकिन यह सभी सही नहीं होता है। यही कारण है कि अब सरकार ऐसे विज्ञापनों पर रोक लगाने की सोच रही है।