आशा वर्कर्स: कोरोना के खिलाफ महिलाओं की सेना, कम वेतन व असुरक्षा के बीच कर रहीं ड्यूटी

punjabkesari.in Wednesday, Jul 08, 2020 - 01:20 PM (IST)

कोरोना वायरस महामारी खत्म करने के लिए जहां वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं। वहीं डॉक्टर्स, नर्सेंज, वॉर्डबॉय व अन्य कर्मचारी हॉस्पिटल में अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। वहीं कुछ ऐसे वॉरियर्स भी हैं , जो हॉस्पिटल के बाहर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं, उन्हीं में से एक हैं आशा वर्कर्स...

गांव-गांव जाकर लोगों की जांच कर रहीं आशा वर्कर्स

अपनी जान की परवाह किए बिना आशा वर्कर्स गांवों के हर घर में जाकर लोगों की कोरोना जांच कर रही हैं। वह लोगों के तापमान की जांच करने के साथ उनकी ट्रैवल हिस्ट्री भी इक्ट्ठी करती हैं। साथ ही यह भी सुनिश्चित करती है कि उस इलाके में कोई कोरोना पॉजिटिव तो नहीं या था।

PunjabKesari

लाखों महिला वर्कर्स ड्यूटी पर

देशभर के कई इलाकों में इस वक्त लाखों महिलाएं आशा वर्कर्स की ड्यूटी निभा रही हैं। दिन-रात 14-14 घंटे की इस जॉब में उन्हें अपने परिवार व खुद के लिए समय भी नहीं मिल पाता, फिर भी वो अपने कर्तव्य पर डटी हुई हैं। आशा कार्यकर्ता ज्यादातर शहरों और गांवों में बेसिक ट्रीटमेंट के लिए तैनात की जाती हैं।

PunjabKesari

सैलरी कम, काम अधिक

कोरोना के आकड़े में लगातार हो ही वृद्धि के कारण आशा वर्कर्स का काम भी बढ़ गया है। मगर, हैरानी की बात तो यह है कि तनख्वाह के रूप उन्हें महीने में सिर्फ 4500 रु ही दिए जाते हैं। यही नहीं, सैलरी कम होने की वजह से यह महिलाएं एक जगह से दूसरी जगह पैदल ही चलकर जाती हैं। हालांकि मुंबई में 1 जुलाई से उनके वेतन में 2,000 रु बढ़ा दिए गए हैं।

PunjabKesari

जोखिम भरी ड्यूटी

देश की राजधानी दिल्ली तो कोरोना बुरी तरह प्रभावित है। ऐसे में वहां आशा वर्कर्स फ्रंटलाइन पर ड्यूटी कर रही हैं और घर-घर जाकर सर्वेक्षण कर रही हैं। परेशानी तो तब होती है, जब लोग अचानक ही उनपर हमला करने लग जाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है वह कोरोना फैला रही हैं।

जागरुकता अभियान

लोगों की जांच करने के साथ-साथ वह लोगों को जागरूक करने का अभियान भी चला रही हैं। यही नहीं, वह लोगों को पर्चे बनाकर भी बांट रही हैं, ताकि लोग किसी गलतफहमी का शिकार ना हो।

PunjabKesari


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anjali Rajput

Recommended News

Related News

static