Anti-Child Labour Day: नियम-कानून से दूरी, आखिर कब खत्म होगी बाल मजदूरी?

punjabkesari.in Friday, Jun 12, 2020 - 09:20 AM (IST)

भारत में करीब 1 करोड़ बच्चे "बाल मजदूरी" का शिकार हैं। इसे रोकने के लिए दुनियाभर में हर साल 12 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस’ (Anti-Child Labour Day) मनाया जाता है। भले ही दुनिया कितनी भी तरक्की के पथ पर क्यों ना हो लेकिन देश का भविष्य (बच्चे) आज भी बाल मजदूरी के चंगुल में फंसे हुए हैं।

Child Labor Is Declining Worldwide, But It's Thriving in These Six ...

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की रिपोर्ट के मुताबिक, आज दुनियाभर में 15 करोड़ से ज्यादा बच्चे बाल मजदूरी करने को मजबूर हैं। हैरान होने वाली बात तो यह है कि यह आंकड़ा तब मिला था जब साल 2011 में जनगणना हुई थी। 2011 से लेकर आज तक हालात बिगड़ते ही आए हैं। बाल मजदूरों की संख्या घटने के बजाए साल दर साल लगातार बढ़ रहा है। कोई कम उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारियां संभाल रहा है तो कोई पेट पालने के लिए बचपन में ही मजदूरी करने को मजबूर है।

Stories of Child Labor - Huiwen Ma - Medium

वहीं, हर साल ह्यूमन ट्रैफिकिंग कर मासूम बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर बाल मजदूर बना दिया जाता है। बांग्लादेश, नेपाल समेत सीमा से सटे देशों से नाबालिग बच्चों को गैरकानूनी रूप से भारत लाया जाता है। मासूमों को या तो मजदूर बना दिया जाता है या फिर नाबालिग लड़कियों को वेश्यावृत्ति के रास्ते पर चलने को मजबूर किया जाता है। वहीं, 10 में से हर 7 बच्चा खेतों में काम करने पर मजबूर है।

child is working in small tea stall | CHILD LABOUR

सरकार ने साल 2016 में बाल मजदूर खत्म करने के लिए सख्त कानून बनाए थे। यही नहीं, बाल मजदूरी को रोकने के लिए ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ भी चलाया गया लेकिन बावजूद इसके यह आकड़ा कम नहीं हो रहा। स्कूल जाने की उम्र में नन्हे हाथों को भारी बोझ उठाना पड़ता है, बर्तन धोने पड़ते हैं या घर का काम करना पड़ता है। खेल-कूद क्या होता है, यह देखा ही नहीं। देश में करीब 7 से 8 करोड़ बच्चों को उनका हक यानी नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा नहीं मिल पा रही है। बच्चे पढ़ना चाहते हैं लेकिन मजबूरी और मजदूरी की बेड़ियों ने उनके पैरों को जकड़ा रखा है।

Child Labour In India: An overview - Millennium India Education ...

चाइल्ड लेबर ना सिर्फ समाज के लिए खतरनाक है बल्कि यह बच्चों के विकास में रुकावट है। आइए"वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर" के मौके पर हम सब इस सामाजिक बुराई को मिटाने का संकल्प लें और बच्चों के लिए एक सुरक्षित, खुशहाल और सहायक वातावरण सुनिश्चित करें।


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Content Writer

Anjali Rajput

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