ये कैसी सोच! जिंदगी की भीख मांग रही अफगान महिलाएं लेकिन पुरुष नहीं लगा रहे हाथ, मरने के लिए छोड़ी जा रही जिंदा
punjabkesari.in Friday, Sep 05, 2025 - 09:52 PM (IST)

नारी डेस्कः इस समय अफगानिस्तान में भूकंप के चलते हालात काफी बुरे हैं। कई लोगों की जान चली गई और कई लोग मलबे में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं, वहीं महिलाओं की हालत तो इससे भी बद्तर है क्योंकि वहां पर महिलाओं को बचाने वाले बहुत कम लोग है। अपनी रूढ़िवादी सोच के चलते इस देश में बेहद चौंकाने वाला और दुखद पहलू सामने आया है। अफगानिस्तान में आए विनाशकारी भूकंप के बाद मलबे में फंसी महिलाएं जान बचाने की गुहार लगा रही हैं लेकिन सदियों पुरानी रूढ़िवादी परंपराओं के कारण उन्हें बचाया नहीं जा रहा है। जी हां एक अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट के दावों के अनुसार, कोई भी अनजान पुरुष किसी महिला को नहीं छू सकता, जिसके चलते ये महिलाएं मौत के मुंह में जा रही हैं।
मदद के लिए नहीं आ रहा कोई भी पुरुष आगे
कुनार प्रांत के आंदरलुकाक गांव में, बीबी आयशा 36 घंटों तक भूकंप के मलबे में फंसी रहीं। उन्होंने राहत दल को देखकर हाथ हिलाकर मदद मांगी, लेकिन कोई भी पुरुष बचावकर्मी उनकी मदद के लिए आगे नहीं बढ़ा। महिलाओं को बचाने के लिए राहत और बचाव दल में महिलाओं की संख्या बहुत कम है और पुरुष बचावकर्मी मलबे में फंसी महिलाओं को रूढ़िवादी परंपरा के चलते हाथ नहीं लगा पा रहे हैं। आँखों के सामने ही कई महिलाएं जिंदगी की जंग हारती जा रही हैं। इस समय हालात इतने दयनीय है कि बच्चों पर भी तरस नहीं खाया जा रहा। एक घर के मलबे में दबे परिवार को बचाने के लिए जब बचाव दल पहुंचा, तो उन्होंने पुरुषों और लड़कों को तो बाहर निकाल लिया, लेकिन 19 साल की आयशा और अन्य महिलाओं को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। खून से लथपथ होने के बावजूद उन महिलाओं को बचाने की कोशिश नहीं की गई।
मरी हुई महिलाओं को भी कपड़े से खींचकर निकाला जा रहा
रिपोर्ट के अनुसार, जो महिलाएं इस भूकंप में जान गंवा चुकी हैं उन्हें बचाव दल कपड़े से खींचकर बाहर निकाल रहे हैं, ताकि वह महिला के शरीर को छू ना पाए। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब कोई रिश्तेदार मौजूद नहीं होता तो मरे हुए लोगों को भी इस तरह से निकाला जा रहा है।
महिलाओं के इलाज में भी हो रहा भेदभाव
कुनार प्रांत में पीड़ितों की मदद कर रहे एक व्यक्ति, ताहजेबुल्ला मुहाजेब के कहे अनुसार, घायल महिलाओं के साथ अस्पताल में भी भेदभाव हो रहा है। पुरुषों और लड़कों को इलाज में प्राथमिकता दी जा रही है। महिला मेडिकल स्टाफ की कमी के कारण गंभीर रूप से घायल महिलाओं को समय पर इलाज में मुश्किल आ रही है। इस तरह की रिपोर्ट से ये जाहिर हो रहा है कि आज भी समाज में रूढ़िवादी परंपराएं मानवीयता से ऊपर की हावी हैं, जिसके चलते आपदा के समय भी महिलाओं को उनकी हालत पर छोड़ दिया गया है।