सर्दियों में वायु प्रदूषण महिलाओं और बच्चों को कैसे नुकसान पहुंचाता है?
punjabkesari.in Wednesday, Jan 08, 2025 - 04:49 PM (IST)
नारी डेस्क: सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन जाता है, जो महिलाओं और बच्चों जैसे कमज़ोर वर्गों पर विनाशकारी प्रभाव डालता है। इस मौसम में वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकती है। ऐसे में वायु प्रदूषण से बचाव के उपाय अपनाना बेहद ज़रूरी हो जाता है। आइए विस्तार से समझते हैं कि सर्दियों में वायु प्रदूषण क्यों बढ़ता है और इसका महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।
सर्दियों में वायु प्रदूषण क्यों होता है बदतर?
फसे हुए प्रदूषक (Trapped Pollutants)
सर्दियों में ठंडी हवा के कारण प्रदूषक ज़मीन के करीब फंस जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप घना धुआं (smog) बनता है, जो कई दिनों तक वातावरण में बना रहता है।
बढ़ा हुआ उत्सर्जन (Increased Emissions)
सर्दियों में लकड़ी, कोयला और फसल के अवशेषों को जलाने से हानिकारक प्रदूषकों की मात्रा बढ़ जाती है। ये प्रदूषक हवा को ज़हरीला बना देते हैं।
हवा की गति में कमी (Reduced Wind Speed)
सर्दियों की शांत हवाएं प्रदूषकों को फैलने नहीं देतीं। नतीजतन, हवा में विषाक्त पदार्थों का स्तर और अधिक बढ़ जाता है।
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महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव
श्वसन संबंधी समस्याएं
बच्चे, विशेष रूप से नवजात शिशु, वायु प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। उन्हें खांसी, घरघराहट और साँस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। गर्भवती महिलाओं को वायु प्रदूषण से श्वसन संक्रमण और जटिलताओं का अधिक खतरा होता है।
गर्भावस्था और नवजात शिशुओं पर प्रभाव
प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से गर्भस्थ शिशु का विकास प्रभावित हो सकता है। इससे कम वजन, समय से पहले जन्म और विकास में देरी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। नवजात शिशुओं में अस्थमा और अन्य श्वसन संबंधी रोग विकसित होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
कमज़ोर इम्युनिटी प्रणाली
प्रदूषित हवा शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देती है। महिलाओं और बच्चों को सर्दी, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसे संक्रमणों का खतरा अधिक रहता है।
हृदय स्वास्थ्य पर असर
महिलाओं में वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से हृदय संबंधी जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे रक्तचाप का बढ़ना और दिल के दौरे का खतरा।
वायु प्रदूषण से बचाव के उपाय
1. घरेलू स्तर पर: घर के अंदर स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों, जैसे एलपीजी और बिजली का उपयोग करें। सुबह और रात के समय बाहर जाने से बचें, क्योंकि इन समयों में वायु प्रदूषण अधिक होता है। घर को हवादार बनाने के लिए दिन के मध्य में खिड़कियां खोलें।
2. सुरक्षात्मक मास्क का उपयोग: उच्च प्रदूषण वाले दिनों में एन95 मास्क का उपयोग करें। यह गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष रूप से प्रभावी होता है।
3. स्वास्थ्य सेवाओं का ध्यान रखें: बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए नियमित स्वास्थ्य जाँच करवाएं। एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें, ताकि इनडोर हवा की गुणवत्ता बेहतर हो।
4. सामुदायिक स्तर पर: हरित ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दें और पराली जलाने जैसे हानिकारक गतिविधियों को रोकने के लिए जागरूकता फैलाएं। अधिक पेड़ लगाकर शहरी क्षेत्रों में हरित स्थानों को बढ़ावा दें।
समाज के लिए संदेश
डॉ. तनवीर बख्शी, पर्यावरण समिति जालंधर के सदस्य और डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर एंड क्लाइमेट एक्शन के सदस्य, कहते हैं कि वायु प्रदूषण महिलाओं और बच्चों के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है। सर्दियों में इस खतरे से बचने के लिए हमें व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर कदम उठाने की ज़रूरत है। साथ ही, नीतिगत स्तर पर भी स्वच्छ ऊर्जा और प्रदूषण नियंत्रण उपायों को अपनाना अनिवार्य है।
सर्दियों के वायु प्रदूषण से बचाव के लिए मिलकर काम करना होगा। इसी से हम अपने परिवारों और समाज को एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण दे सकते हैं।
आइए, स्वच्छ हवा और बेहतर जीवन के लिए कदम उठाएं।