बच्चे को क्यों नहीं देनी चाहिए एंटीबायोटिक दवाएं? घरेलू तरीके बेस्ट

punjabkesari.in Monday, Nov 26, 2018 - 01:18 PM (IST)

बच्चों को सबसे अधिक संक्रमण की समस्या होती है। इसके उपचार में एंटीबॉयटिक दवाओं का प्रयोग चिकित्सक भी अधिक करते हैं, जिसका असर उल्टा होने लगता है। इसके कारण बच्चों को डायरिया भी हो सकता है। सर्दी, खांसी, जुकाम, पेट की इंफैक्शन से लिए दी जाने वाली ये दवाइयां बाद में सेहत की परेशानियों को बढ़ा सकती हैं। इनका सबसे ज्यादा असर प्रतिरक्षा प्रणाली पर पड़ता है। 

एंटीबायोटिक्स कैसे काम करते हैं?

बहुत बीमारियों में एंटीबायोटिक्स मदद करते हैं लेकिन कफ-कोल्ड या फ्लू जैसी आम परेशानियों में इनका सेवन करना ठीक नहीं है। दो तरह की रोगाणु बच्चे को बीमार कर सकते हैं एक वायरस और दूसरा बैक्टीरिया। दोनों के लक्षण समान हो सकते हैं लेकिन जिस तरह वे बीमारी को बढ़ाने और फैलाते हैं वे अलग-अलग हैं। 

बैक्टीरिया

शरीर में अच्छे और बुरे कई तरह के बैक्टीरिया पहले से ही मौजूद होते हैं जो सेहत दुरूस्त रखने के लिए मददगार हैं। इसमें से कुछ जीवाणु शारीरिक कार्यप्रणाली में बाधा पैदा करते हैं। जिससे पेट की इंफैक्शन, शरीर में दर्द आदि कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। एंटीबायोटिक इस तरह के बैक्टीरिया को मार कर उन्हें बढ़ने से रोकते हैं। 

वायरस

वायरस शरीर में मौजूद जीवित कोशिकाओं पर आक्रमण करते हैं। ये जेनेटिक मेटिरियल वाले कण प्रोटीन में लिपटे होते हैं। जो बीमारी का कारण बनते हैं और तब शरीर का प्रतिरक्षा प्रणाली किसी भी बीमारी की रोकथाम का काम करती है। वहीं, मौसमी बदलाव के कारण होने वाली इंफैक्शन पर ठीक होने में अपना पूरा समय लेती हैं, उन पर एंटीबायोटिक्स काम नहीं करते।
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एंटीबायोटिक दवाओं से होने वाली समस्याएं

बहुत ज्यादा एंटीबायोटिक एलर्जी और साइड इफैक्ट का कारण बनते हैं। जिससे भविष्य में बच्चे को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। 

एलर्जी रिएक्शन

100 में से 5 बच्चों को एंटीबायोटिक दवाओं से एलर्जी रिएक्शन देखी गई है जैसे शरीर में सूजन, लाल चकते, खुजली आदि। दवा देने के बाद इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टरी सलाह लें। 

अन्य प्रभाव

10 में से 1 बच्चे को एलर्जी रिएक्शन नहीं बल्कि एंटीबायोटिक्स से साइड इफैक्ट हो सकता है जैसे उल्टी आना, नाक बहना, पेट में दर्द, डायरिया आदि। इसका कारण यह है कि एंटीबायोटिक्स शरीर से गुड़ और बैड दोनों तरह के बैक्टीरिया मार देते हैं। जिससे  रोगों से लड़ने की शक्ति खत्म हो जाती है। 

एंटीबायोटिक प्रतिरोधी

एंटीबायोटिक दवाओं को प्रयोग अगर लगातार किया जाए तो ये शरीर में मौजूद जीवाणुओं को मारने में असमर्थ हो जाते हैं। जो बच्चे के लिए एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बन जाते हैं। इसी कारण डॉक्टर भी एंटीबायोटिक का जरूरत से ज्यादा सेवन करने से मना करते हैं। 

बच्चे के लिए क्यों जरूरी है एंटीबायोटिक्स?

एंटीबायोटिक्स की पूरी तरह से अनदेखी नहीं कि जा सकती क्योंकि ऐसी बहुत-सी बीमारियां हैं जिन्हें इस दवा से ही आराम मिलता है जैसे 14 दिन लगातार खांसी रहने के बाद एंटीबायोटिक्स देना जरूरी है, इसके अलावा निमोनिया, काली खांसी, हाई फीवर, नाक से पीले पदार्थ का बहना, कान की इंफैक्शन, यूरीन इंफैक्शन आदि। इसके साथ बच्चे की डाइट का खास ख्याल रखना बहुत जरूरी है। 

एंटीबायोटिक्स के साथ डाइट का भी रखे ख्याल

गुड बैक्टीरिया की कमी को पूरा करने के लिए बच्चे के लिए विटामिन के और बी युक्त आहार का सेवन करना जरूरी है। ये पोषक तत्वों को अवशोषित करने में बहुत आवश्यक है। अगर बच्चे के आहार में हैल्दी फूड्स शामिल किए जाए तो सेहत को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। 

दवाओं की जगह कफ और फ्लू के लिए अपनाएं घरेलू उपाय

सरसों का तेल और लहसुन

सरसों को तेल को गर्म करके इसमें लहसुन और अजवाइन डाल दें। गुनगुना होने पर इससे बच्चे के पैर, पीठ और छाची पर मसाज करे। कोल्ड और फ्लू से जल्द आराम मिलेगा। 
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अदरक और शहद

अदरक के रस में शहद मिलाकर बच्चे को दें। दिन में दो बार इसका सेवन करने से बहुत जल्दी आराम मिलेगा। 
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छुआरा और दूध 

रात को 1 छुआरा तवेे पर भून कर 1 कप गर्म दूध के साथ बच्चे को खिलाएं। फायदा मिलेगा। 
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गरारे

गुनगुने पानी में नमक डालकर बच्चे को गरारे करवाएं। 
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Content Writer

Priya verma

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