फेफड़ों में पानी क्यों भरता है और इसे कैसे पहचाने?

punjabkesari.in Saturday, Nov 15, 2025 - 03:04 PM (IST)

 नारी डेस्क: फेफड़ों में पानी भरने को मेडिकल भाषा में पल्मोनरी एडेमा (Pulmonary Edema) कहा जाता है। यह एक गंभीर स्थिति है, जिसमें फेफड़ों के हवा भरने वाले हिस्सों में अत्यधिक फ्लुइड जमा हो जाता है। इससे फेफड़ों की सामान्य कार्यक्षमता प्रभावित होती है और व्यक्ति को सांस लेने में गंभीर दिक्कत होती है। आम भाषा में इसे फेफड़ों में पानी भरना कहा जाता है।

फेफड़ों में पानी कैसे भरता है?

फेफड़ों में पानी भरने के कई कारण हो सकते हैं। सबसे आम कारण दिल की समस्या होती है, जैसे हार्ट फेलियर। इसके अलावा, न्यूमोनिया, कुछ टॉक्सिन्स, दवाइयां, छाती पर चोट (Chest Trauma), या हाई एलिवेशन पर ज्यादा एक्सरसाइज करने से भी फेफड़ों में अतिरिक्त फ्लुइड जमा हो सकता है। यह स्थिति अचानक भी हो सकती है या धीरे-धीरे विकसित हो सकती है।

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फेफड़ों में पानी भरने के लक्षण

फेफड़ों में पानी भरने के दौरान शरीर कई तरह के संकेत देता है। सबसे पहले सांस लेने में दिक्कत होती है, जो समय के साथ और बढ़ सकती है। विशेष रूप से लेटे हुए स्थिति में सांस लेना कठिन हो जाता है। कुछ अन्य लक्षण इस प्रकार हैं अचानक ऐसा महसूस होना कि दम घुट रहा है या डूबने जैसा अनुभव हो रहा है।

खांसी होना जिसमें बलगम और कभी-कभी खून भी आ सकता है

फेफड़ों में पानी भरने के कारण खांसी होना आम है। शुरुआत में खांसी हल्की हो सकती है, लेकिन समय के साथ यह लगातार बढ़ती जाती है। बलगम का रंग सफेद, पीला या झागदार हो सकता है। गंभीर मामलों में खांसी के साथ थोड़े-थोड़े खून के धब्बे भी दिखाई दे सकते हैं। यह संकेत है कि फेफड़ों के छोटे रक्त वाहिकाओं में दबाव बढ़ गया है और तुरंत चिकित्सीय मदद की आवश्यकता है।

सांस तेज होना और दिल की धड़कन बढ़ना

जब फेफड़ों में अतिरिक्त फ्लुइड जमा हो जाता है, तो शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। इसके कारण सांस लेने की गति तेज हो जाती है और व्यक्ति बार-बार सांस लेने लगता है। साथ ही, हृदय तेजी से धड़कने लगता है क्योंकि वह पूरे शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए अधिक मेहनत करता है। यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह दिल और फेफड़ों पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती है।

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शरीर ठंडा पड़ना और ठंडी त्वचा

फेफड़ों में पानी जमा होने से शरीर के अंगों में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती। इससे शरीर की त्वचा ठंडी और फीकी पड़ने लगती है। हाथ-पैर अक्सर ठंडे और नीले रंग के दिखाई देने लगते हैं। गंभीर मामलों में यह संकेत हो सकता है कि शरीर के अंग सही तरीके से काम नहीं कर रहे और तत्काल उपचार की जरूरत है।

सांस लेने या बोलने पर सीटी जैसी आवाज या खुरखुराहट

फेफड़ों में जमा फ्लुइड हवा के रास्ते में रुकावट डालता है। इसलिए जब व्यक्ति सांस लेता या बोलता है, तो फेफड़ों में सीटी जैसी आवाज या खुरखुराहट सुनाई देती है। यह आवाज अक्सर खांसी के साथ बढ़ जाती है। यह लक्षण डॉक्टरों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है कि फेफड़े सही ढंग से काम नहीं कर रहे।

रात में नींद खुल जाना

फेफड़ों में पानी जमा होने से व्यक्ति को लेटकर सांस लेने में कठिनाई होती है। इसके कारण रात में नींद बार-बार टूटती है और व्यक्ति उठकर बैठने या पैरों को नीचे रखने पर राहत महसूस करता है। इसे पैरोक्सिस्मल नोक्तर्नल डीस्निया कहा जाता है और यह फेफड़ों में फ्लुइड जमा होने का एक आम संकेत है।

कमजोरी और थकान महसूस होना

फेफड़ों में पानी जमा होने से शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुँचती। इस वजह से व्यक्ति दिनभर कमजोरी, थकान और ऊर्जा की कमी महसूस करता है। सामान्य काम करना भी मुश्किल हो जाता है, क्योंकि दिल और फेफड़े लगातार अतिरिक्त मेहनत कर रहे होते हैं।

खांसी लगातार खराब होना

फेफड़ों में पानी बढ़ने के साथ खांसी की गंभीरता भी बढ़ती है। शुरुआती दिनों में खांसी हल्की हो सकती है, लेकिन समय के साथ यह लगातार और ज्यादा दुखद और थकाने वाली हो जाती है। यह संकेत है कि फेफड़ों में फ्लुइड की मात्रा बढ़ रही है और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है।

अचानक वजन बढ़ना

फेफड़ों में पानी भरने वाले मरीजों में अक्सर अचानक वजन बढ़ना देखा जाता है। यह असली वजन वृद्धि नहीं बल्कि शरीर में जमा फ्लुइड के कारण होती है। अक्सर यह पैर, टखने और पेट में सूजन के साथ दिखाई देती है।

पैरों में सूजन और पसीना आना

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फेफड़ों में फ्लुइड जमा होने से शरीर में अतिरिक्त तरल पदार्थ जमा होता है। इसके कारण पैरों और टखनों में सूजन, हाथों में फुलाव और दिनभर अधिक पसीना आना आम है। ये संकेत शरीर में तरल पदार्थ संतुलन बिगड़ने की ओर इशारा करते हैं।

फेफड़ों में पानी भरने का इलाज

पल्मोनरी एडेमा एक मेडिकल इमरजेंसी है। इसके इलाज में डॉक्टर तुरंत कदम उठाते हैं। मरीज को अक्सर एमरजेंसी रूम या ICU में रखा जाता है। इलाज के तरीके इस प्रकार हैं ऑक्सीजन मास्क के जरिए मरीज को ऑक्सीजन दी जाती है। जरूरत पड़ने पर वेंटिलेटर या मशीन की मदद से फेफड़ों में हवा भरी जाती है। मरीज को दवाइयां दी जाती हैं, ताकि शरीर में जमा फ्लुइड बाहर निकल सके। गंभीर संक्रमण या सूजन के लिए एंटीबायोटिक्स और स्टेरॉइड्स दिए जाते हैं।कभी-कभी सीरिंज की मदद से फेफड़ों से फ्लुइड निकाला जाता है।

फेफड़ों में पानी भरना गंभीर और जीवन-धमकी देने वाली स्थिति है। यदि किसी में ऊपर बताए गए लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। समय पर इलाज मिलने से इस स्थिति में सुधार संभव है और जान बचाई जा सकती है।
  

 

 


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Content Editor

Priya Yadav

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