17 साल की कोमालिका ने जीता गोल्ड, बेटी के लिए कभी पिता ने बेचा था अपना घर

punjabkesari.in Friday, Aug 30, 2019 - 03:13 PM (IST)

देश ही नहीं विदेश में भी भारतीय बेटियां अपना ढंका बजा रही है। इसी कारण पूरी दुनिया को भारतीय लड़कियों न केवल गर्व है बल्कि उनका सम्मान भी किया जाता है। भारत की एक बेटी पीवी सिंधु ने बैडमिंटन चैंपियनशिप जीत कर भारत का नाम रोशन किया हैं वहीं अब 17 साल की कोमालिका ने भी तीरंदाजी में गोल्ड जीत कर भारत का नाम रोशन कर दिया हैं। कोमालिका बारी ने स्पेन में हुई विश्व युवा तीरंदाजी चैंपियनशिप में गोल्ड जीता है। इसी के साथ वह भारत की दूसरी चैंपियन बन गई है जिन्होंने यह मैडल हासिल किया है। इससे पहले यह मैडल 2009 में दीपिका कुमारी ने जीता था। इस प्रतियोगिता में कोमलिका ने जापान की सबसे बेस्ट खिलाड़ी सोनदा वाका को 7-3 से हराया है।

PunjabKesari,World Archery Youth Championships, Komolika Bari, Nari

2012 में शुरु किया था अपना करियर

झांरखंड के जमशेदपुर की रहने वाली कोमालिका बारी ने 2012 में आईएसडब्ल्यूपी तीरंदाजी सेंटर से अपने करियर की शुरुआत की थी। 4 साल तक मिनी व सबजूनियर कैटेगिरी में अच्छा प्रदर्शन कर 2016 में टाटा आर्चरी एकेडमी में दाखिला लिया। यहां पर द्रोणाचार्य पूर्णिमा महतो व धर्मेंद्र तिवारी ने उन्हें तिरंदाजी सिखाई। इन बीते  3 सालों में उन्होंने राष्ट्रीय व अंतर राष्ट्रीय स्तर पर डेढ़ दर्जन से अधिक पदक हासिल कर लिए है।

बेटी के लिए बेचा था घर 

कोमालिका के माता- पिता दोनों की इच्छा थी कि उनकी बेटी तीरंदाजी सीख कर ओलंपिक में जाए। इतना ही नही कोमालिका खुद भी इसमें अपना करियर बनाना चाहती थी। अपने व अपनी बेटी के इसी सपने को पूरा करने के लिए चाय की दुकान व एलआईसी एजेंट का करने वाले पिता घनश्याम ने अपना घर बेच दिया था। ताकि उनसे मिलने वाले पैसों से वह अपने बेटी के लिए 2 - 3 लाख में आने वाले धनुष को खरीद सकें। कोमालिका की मां लक्ष्मी बारी जो कि आंगनबाड़ी में सेविका है उनका एक ही सपना था कि हर कोई उनकी बेटी व उसकी कहानी को जाने। 

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देख नही पाए अपनी बेटी के सुनहरे पल 

बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए मां- पिता ने पूरी मेहनत की। वहीं तीरंदाजी में चैंपियन बनने वाली कोमालिका के घर आज भी टेलीविजन नही हैं। जिस कारण उनके माता पिता इस सुनहरे पल को देख नही पाए। जहां एक तरफ पूरी दुनिया उनकी इस जीत की खुशी मना रहे थे वहीं वह घर इस खुशी से दूर रहे। 

लिट्टी-चोखा है पसंद

कोमालिका को खाने में लिट्टी-चोखा बहुत पसंद है। वैसे तो ये व्यंजन आदिवासी समाज का नहीं है लेकिन फिर भी उनकी मां खुद उनके लिए बनाती है। उन्हं लिट्टी व सत्तू पराठा खाने की आदत उनके स्कूल की एक सहेली का टिफिन से लगी थी। 

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Content Writer

khushboo aggarwal

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