दो-तीन महीनों के गैप से आते हैं Periods तो क्या करें?
punjabkesari.in Monday, Apr 07, 2025 - 08:57 PM (IST)

नारी डेस्क: महिलाओं के शरीर में होने वाले बदलावों का असर उनके पीरियड्स पर भी पड़ता है। सामान्य तौर पर, महिलाओं के पीरियड्स 28 दिनों के बीच आते हैं, लेकिन कभी-कभी यह चक्र बदल सकता है। अगर किसी महिला को 2 महीने तक पीरियड्स नहीं आते हैं, तो यह स्थिति थोड़ी चिंताजनक हो सकती है, और इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि अगर दो महीने तक पीरियड्स ना आए तो क्या करना चाहिए और इसके कारण क्या हो सकते हैं।
पीरियड्स न आने के कारण
तनाव (Stress)
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव बहुत बढ़ गया है। मानसिक तनाव, काम का दबाव, पारिवारिक समस्याएं या व्यक्तिगत जीवन में समस्याएं पीरियड्स में बदलाव का कारण बन सकती हैं। तनाव के कारण हार्मोनल असंतुलन होता है, जिससे पीरियड्स की अनियमितता हो सकती है।
वजन में बदलाव (Weight Changes)
वजन बढ़ने या घटने के कारण शरीर के हार्मोनल लेवल में बदलाव आता है। ज्यादा वजन बढ़ने से ओवुलेशन में दिक्कत हो सकती है, और वजन कम होने पर भी शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जिससे पीरियड्स रुक सकते हैं।
हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)
थायराइड, पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) जैसी स्थितियों के कारण हार्मोनल असंतुलन हो सकता है। इससे पीरियड्स में लंबा गैप आ सकता है।
प्राकृतिक कारण (Natural Causes)
कुछ महिलाओं में पीरियड्स का चक्र प्राकृतिक रूप से अनियमित होता है। खासकर किशोरावस्था और मेनोपॉज के समय, पीरियड्स में बदलाव हो सकता है।
गर्भवती होना (Pregnancy)
अगर आपके पीरियड्स नहीं आ रहे हैं और आप यौन संबंध बना चुकी हैं, तो सबसे पहली संभावना गर्भावस्था हो सकती है। गर्भधारण के बाद पीरियड्स रुक जाते हैं।
मनोवैज्ञानिक कारण (Psychological Issues)
कुछ महिलाओं में मानसिक तनाव और डिप्रेशन के कारण भी पीरियड्स में अनियमितता देखी जाती है।
दवाइयां और चिकित्सा स्थितियां (Medications and Medical Conditions)
कुछ दवाइयां जैसे कि गर्भनिरोधक गोलियां या अन्य हार्मोनल ट्रीटमेंट्स भी पीरियड्स को प्रभावित कर सकती हैं। इसके अलावा, कुछ गंभीर चिकित्सा स्थितियाँ जैसे कि डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, या एनीमिया भी पीरियड्स को प्रभावित कर सकती हैं।
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क्या करना चाहिए अगर 2 महीने तक पीरियड्स ना आए?
गर्भावस्था का परीक्षण (Pregnancy Test): अगर आप sexually active हैं, तो सबसे पहले गर्भावस्था का परीक्षण करें। घरेलू गर्भावस्था परीक्षण किट का इस्तेमाल कर सकते हैं। यदि टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
स्वास्थ्य जांच कराना (Health Check-Up):अगर गर्भावस्था नहीं है, तो एक पूरी मेडिकल जांच करवाना जरूरी है। डॉक्टर आपके हार्मोनल असंतुलन, थायराइड, और अन्य संभावित कारणों की जांच करेंगे।
हार्मोनल जांच (Hormonal Tests): हार्मोनल असंतुलन होने पर डॉक्टर रक्त जांच कर सकते हैं, जिससे यह पता चल सके कि क्या आपके शरीर में कोई हार्मोनल बदलाव हो रहा है।
खानपान और जीवनशैली में बदलाव (Diet and Lifestyle Changes): वजन कम या ज्यादा होने के कारण भी पीरियड्स में बदलाव हो सकते हैं। इसलिए अपने आहार में सुधार लाना, नियमित व्यायाम करना, और पर्याप्त नींद लेना जरूरी है।
तनाव से निपटना (Managing Stress): तनाव को कम करने के लिए योग, प्राणायाम, और ध्यान (Meditation) की तकनीकों का अभ्यास करें। मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना भी जरूरी है।
आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic Solutions): कुछ महिलाएं आयुर्वेदिक उपचार भी अपनाती हैं। आयुर्वेद में विशेष जड़ी-बूटियाँ जैसे अश्वगंधा, शतावरी आदि का उपयोग किया जाता है, जो हार्मोनल असंतुलन को सुधार सकते हैं। हालांकि, आयुर्वेदिक उपायों का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से ही करें।
कब डॉक्टर से मिलें?
अगर 2 महीने तक पीरियड्स नहीं आए।
यदि पीरियड्स के दौरान अत्यधिक दर्द हो।
अगर आप गर्भवती नहीं हैं और पीरियड्स अनियमित हो रहे हैं।
अगर आपको शरीर में कोई और असामान्य बदलाव महसूस हो।
पीरियड्स का रुकना या देर से आना महिलाओं के जीवन का एक सामान्य हिस्सा हो सकता है, लेकिन अगर यह लंबे समय तक होता है, तो यह स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का संकेत भी हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है ताकि सही उपचार किया जा सके और आपको मानसिक शांति मिल सके। आपकी सेहत सबसे महत्वपूर्ण है, इसलिए अगर आप महसूस करती हैं कि कुछ गलत हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें और किसी भी स्थिति को हल्के में न लें।