क्या है पोस्टनेटल डिप्रैशन? महिलाएं संकेत जानकर तुरंत ले कोई एक्शन

punjabkesari.in Sunday, Aug 19, 2018 - 04:02 PM (IST)

पोस्टनेटल डिप्रैशन यानी बच्चे के जन्म के बाद होने वाला अवसाद। यह डिप्रैशन बहुत गंभीर व कमजोर कर देना वाला होता हैं। यब बेबी ब्ल्यू से भी घातक होता है। लगभग आधी मांएं बेबी ब्ल्यू से पीड़ित होती हैं परन्तु गर्भावस्था के दौरान या बच्चे को जन्म देने के एक वर्ष के अदंर-अंदर 5 में से एक महिला पोस्टनेटल डिप्रैशन के लक्षणों शामिल हैं। पोस्टनेटल डिप्रैशन के दौरान महिलाओं में कुछ संकेत दिखाई देते है। 

 

- उदासी की लगातार भावना बनी रहना
- मूड खराब होना
- जीवन में रूचि कम होना
- हर बात के लिए खुद को दोष देना
- खुद पर आरोप लगाना
- आत्मविश्वास में कमी होना

 

फिर भी एक संकेत ऐसा होता है जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता हैं परन्तु जो नई मां या नए पिता की मन की अवस्था का सूचक होता हैं और इसे पहचानने में असफल रहने से पोस्टनेटल डिप्रैशन के उपचार में देरी हो सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलम्बिया द्वारा करवाए गए एक अध्ययन के अनुसार अधिकतर महिलाओं की बेचैनी( एग्जाइटी) और अवसाद(डिप्रैशन) के लिए स्क्रीनिंग की गई थी परन्तु गुस्से के लिए नहीं।


 
इससे भी अधिक एडिनबर्ग पोस्टनेटल डिप्रैशन स्केल स्क्रीनिंग टूल(आमतौर पर डायग्नोसिस में सहायता के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला) गुस्से को दर्शाता ही नहीं। नर्सिंग की छात्रा द्वारा किए अध्ययन के अनुसार, गुस्सा पोस्टनेटल डिप्रैशन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां तक कि यदि इसका इलाज न किया जाए तो महिला को रोग मुक्त होने में रूकावट बन सकती हैं।

 

इसका मां और बच्चे तथा परिवार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इससे पति-पत्नी का रिश्ता भी प्रभावित हो सकता है। इस गुस्से के कारण मां को लगता है कि उसकी पेरेंटिंग पर नजर रखी जा रही हैं और उसे अपने को पूरा साथ नहीं मिलता। 
 


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Content Writer

Sunita Rajput

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