ला-नीना आ गई! बारिश के बाद अब सर्दी की कंपकंपाती मार के लिए हो जाओ तैयार

punjabkesari.in Wednesday, Sep 24, 2025 - 07:40 PM (IST)

नारी डेस्क: बारिश की मार के बाद अब सर्दी की मार झेलने के लिए भी तैयार हो जाइए। इस बार ठंड जल्दी दस्तक देने जा रही है, मौसम विभाग ने दिवाली से पहले यानी कि अक्टूबर में ठंड के संकेत दे दिए हैं। इस दौरान ला-नीना के एक्टिव होने की पूरी संभावना है। 'ला नीना' एक शक्तिशाली जलवायु परिघटना है जो दुनिया भर में मौसम के मिजाज को बिगाड़ती है और मानसून के व्यवहार, वर्षा वितरण और क्षेत्रीय तापमान को प्रभावित करती है।


इस बार लंबी चलेगी ठंड

 ला नीना तब होता है जब भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से नीचे चला जाता है, जिससे व्यापक वायुमंडलीय परिवर्तन होते हैं, वैश्विक मौसम प्रणालियों में बदलाव आते हैं और महाद्वीपों में जेट धाराओं में बदलाव होता है। अगर यह इस साल के अंत में विकसित होता है, तो भारत में औसत से ज़्यादा ठंडी सर्दियां, लंबे समय तक पाला पड़ना और हिमालयी क्षेत्र में भारी बर्फबारी हो सकती है, जिससे कृषि, जल आपूर्ति, ऊर्जा की मांग और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर गहरा असर पड़ सकता है। प्रशांत महासागर पहले ही ठंडा होना शुरू हो चुका है, जिससे अमेरिकी जलवायु पूर्वानुमान केंद्र और भारतीय मौसम विभाग जैसी एजेंसियों ने सलाह और विस्तृत पूर्वानुमान जारी किए हैं। 


 ला नीना को लेकर चेतावनी जारी

विशेषज्ञ आगाह करते हैं कि एक कमज़ोर ला नीना भी शीत लहरों को तेज़ करने के लिए पर्याप्त हो सकता है, जिससे 2025-26 की सर्दियां हाल के वर्षों की तुलना में संभावित रूप से कठोर और अधिक विनाशकारी हो सकती हैं। 11 सितंबर, 2025 को अमेरिकी राष्ट्रीय मौसम सेवा के जलवायु पूर्वानुमान केंद्र (सीपीसी) ने आधिकारिक तौर पर ला नीना वॉच जारी की। एजेंसी ने अक्टूबर और दिसंबर 2025 के बीच ला नीना विकसित होने की 71% संभावना का अनुमान लगाया है, जो दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 के लिए थोड़ी कम होकर 54% हो सकती है।


इस बार ठंड दिखाएगी तेवर

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अपने नवीनतम ENSO बुलेटिन में पुष्टि की है कि वर्तमान में प्रशांत क्षेत्र में तटस्थ स्थितियां बनी हुई हैं - वर्तमान में न तो अल नीनो और न ही ला नीना सक्रिय है। आईएमडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा: "हमारे मॉडल इस साल अक्टूबर-दिसंबर के दौरान ला नीना विकसित होने की अच्छी संभावना (50% से ज़्यादा) दर्शाते हैं। ला नीना आमतौर पर भारत में ठंडी सर्दियों से जुड़ा होता है। हालांकि जलवायु परिवर्तन का गर्म प्रभाव कुछ हद तक इसकी भरपाई कर सकता है, लेकिन ला नीना वाले वर्षों में सर्दियाँ बिना ला नीना वाले वर्षों की तुलना में ज़्यादा ठंडी होती हैं। कुल मिलाकर यह साल शायद सबसे गर्म वर्षों में शुमार न हो, क्योंकि मानसूनी बारिश ने तापमान को पहले ही नियंत्रण में रखा है।"


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vasudha

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