सांसों की घुटन के बाद अब पानी पर भी खतरा! CGWB रिपोर्ट में UP–पंजाब–दिल्ली से लेकर कई इलाको में अलर्ट
punjabkesari.in Sunday, Nov 30, 2025 - 11:50 AM (IST)
नारी डेस्क : उत्तर भारत पहले ही प्रदूषित हवा की वजह से गंभीर संकट झेल रहा है, और अब केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) की नई वार्षिक भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट 2025 ने साफ पानी पर मंडराते एक और बड़े खतरे की चेतावनी दे दी है। रिपोर्ट के अनुसार, देशभर से एकत्र किए गए पानी के नमूनों में 13–15% में यूरेनियम संदूषण पाया गया है। यह रिपोर्ट 2024 में पूरे भारत से जुटाए गए 15,000 पानी के नमूनों पर आधारित है और शुक्रवार को पब्लिक कर दिया गया।
दिल्ली में कई जगह BIS मानकों से ज्यादा प्रदूषण
केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) की रिपोर्ट के अनुसार राजधानी में 86 स्थानों से भूजल के नमूने लिए गए, जिनमें से कई नमूनों में प्रदूषण का स्तर भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा तय किए गए सुरक्षित पेयजल मानकों से काफी अधिक पाया गया। रिपोर्ट में हुए विश्लेषण के मुताबिक कुल 83 नमूनों में से 24 नमूने ऐसे थे जिनमें यूरेनियम की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ी हुई पाई गई। यह संख्या कुल नमूनों का लगभग 13.35% से 15.66% हिस्सा बनती है।
CGWB की मानें तो उत्तर-पश्चिम भारत के कई क्षेत्रों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में यूरेनियम संदूषण लगातार बढ़ रहा है। भूजल स्तर में गिरावट, भू-वैज्ञानिक कारण और स्थानीय परिस्थितियों को इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार माना जा रहा है। यह स्थिति न केवल पेयजल की सुरक्षा पर सवाल उठाती है, बल्कि आने वाले समय में स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी गंभीर चेतावनी है।
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राज्यों की ग्राउंडवॉटर क्वालिटी कहां कितना खतरा?
उत्तर प्रदेश
EC ज्यादा: कम (2.33%)
फ्लोराइड: हल्का खतरा (4.05%)
नाइट्रेट: कई जगह अलर्ट
आर्सेनिक/मैंगनीज: कुछ जिलों में ज्यादा
सिंचाई खतरा: 13.65% नमूने RSC लिमिट से ऊपर
उत्तराखंड
EC: 0%, कोई समस्या नहीं
फ्लोराइड: 1.21%, बहुत कम
RSC: 41.94%, सिंचाई में सोडियम बढ़ने का खतरा सबसे ज्यादा
बिहार
EC: 0.86%, नगण्य
फ्लोराइड: 6.68%, मध्यम समस्या
नाइट्रेट: उच्च
गंगा बेसिन क्षेत्र में आर्सेनिक एक बड़ी चुनौती
कुछ जगह SAR 505 तक, सिंचाई के लिए बेहद नुकसानदेह
दिल्ली NCR
EC: 33.33%, खारा पानी बहुत ज्यादा
फ्लोराइड: 17.78%, गंभीर
SAR: 34.8% नमूने खराब
RSC: 51.11%, देश में सिंचाई का सबसे ज्यादा खतरा।
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महाराष्ट्र
EC: 2.56%, हल्का खतरा
फ्लोराइड: 1.79%
लोकल नाइट्रेट और हेवी मेटल अलर्ट
राजस्थान
EC: 47.12% — देश में सबसे ज्यादा
फ्लोराइड: 41.06%, खतरनाक
नाइट्रेट और यूरेनियम: उच्च
SAR > 26: 12%
RSC ज्यादा: 24.42%
यह भारत के सबसे संकटग्रस्त ग्राउंडवॉटर वाले राज्यों में एक है।
मध्य प्रदेश
EC: 0.83%
फ्लोराइड: 0.96%
नाइट्रेट: कुछ अलर्ट
कुल मिलाकर स्थिति ठीक
हरियाणा
EC: 20.59%, खारापन बढ़ता हुआ
फ्लोराइड: 21.82%, बड़ी समस्या
नाइट्रेट: अलर्ट
यूरेनियम: कई हॉटस्पॉट
RSC: 15.54%, सिंचाई में जोखिम
पंजाब
EC: 7.01%
फ्लोराइड: 11.24%
नाइट्रेट और यूरेनियम: कई गंभीर जगहें
RSC: 24.60%
झारखंड
EC: कम
फ्लोराइड: 3.94%
नाइट्रेट व ट्रेस मेटल: छोटे स्पॉट
गुजरात
EC: 18.28%, खासकर तटीय व सूखे क्षेत्र
फ्लोराइड: 9.06%
यूरेनियम हॉटस्पॉट भी दर्ज
छत्तीसगढ़
EC: 0.12%, लगभग नहीं
फ्लोराइड: 2.65%
पानी की गुणवत्ता कुल मिलाकर अच्छी
हिमाचल प्रदेश
EC: सामान्य
फ्लोराइड: 1.24%
पानी अधिकतर BIS मानकों के अनुरूप
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जम्मू-कश्मीर
EC: सामान्य
फ्लोराइड: समस्या नहीं
ग्राउंडवॉटर क्वालिटी बहुत अच्छी
EC, SAR और RSC क्या होते हैं? (सरल भाषा में समझें)
EC (इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी)
यह बताता है कि पानी में कितना खारापन (salinity) है।
EC ज्यादा = पानी खारा = पीने और सिंचाई दोनों के लिए खराब।
SAR (सोडियम एड्सॉर्प्शन रेशियो)
मिट्टी में सोडियम बढ़ने से उसे नुकसान होता है—SAR इसी जोखिम को मापता है।
SAR ज्यादा = मिट्टी की संरचना खराब।
RSC (रेसिडुअल सोडियम कार्बोनेट)
कार्बोनेट-बाइकार्बोनेट अधिक होने पर सोडियमिटी बढ़ जाती है।
RSC ज्यादा = सिंचाई से मिट्टी का नुकसान तेज।
दिल्ली के नागरिकों में चिंता बढ़ी
दिल्ली के नागरिकों में पानी की गुणवत्ता को लेकर चिंता लगातार बढ़ रही है। इसी बीच एक पर्यावरण कार्यकर्ता ने दिल्ली जल बोर्ड को पत्र लिखकर स्पष्ट मांग की है कि शहर में संचालित सभी 5,000 ट्यूबवेलों की पिछले छह महीनों की जल गुणवत्ता रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। कार्यकर्ता का कहना है कि राजधानी के लोगों को यह जानने का मूलभूत अधिकार है कि उनके घरों तक पहुंचने वाला पानी कितना सुरक्षित है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पारदर्शिता के बिना नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती, खासकर तब जब रिपोर्टें लगातार भूजल में बढ़ते संदूषण की तरफ इशारा कर रही हैं।

