तुलसी विवाह की असली कहानी: भगवान विष्णु और तुलसी के अद्भुत विवाह की कथा
punjabkesari.in Tuesday, Nov 12, 2024 - 01:02 PM (IST)
नारी डेस्क: तुलसी विवाह 2024 का आयोजन 13 नवंबर को होगा, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन शालिग्राम जी और माता तुलसी के विवाह को समर्पित होता है। इस दिन, पूरे विधि-विधान से तुलसी और विष्णु जी के रूप शालिग्राम जी का विवाह कराया जाता है। इस अवसर पर घर में लक्ष्मी का वास होने की मान्यता है और इस दिन विशेष पूजा से घर में समृद्धि और खुशहाली आती है। आइए जानते हैं तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व और उसकी कथा।
तुलसी विवाह की कथा (Tulsi Vivah Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, दैत्यराज कालनेमी की बेटी वृंदा का विवाह जालंधर से हुआ, जो एक राक्षस था। जालंधर ने देवी लक्ष्मी को पाने के लिए युद्ध किया, लेकिन देवी लक्ष्मी ने उसे अपने भाई के रूप में स्वीकार किया। बाद में वह देवी पार्वती को प्राप्त करने के लिए कैलाश पर्वत पर गए, लेकिन देवी पार्वती ने उन्हें पहचान लिया और उन्हें वहां से हटा दिया।
वहीं जालंधर की पत्नी वृंदा पतिव्रता स्त्री थी, और उसके पतिव्रता धर्म की शक्ति के कारण जालंधर कभी पराजित नहीं होता था। भगवान विष्णु ने इस स्थिति को बदलने के लिए ऋषि का रूप धारण कर वृंदा को धोखा दिया। उन्होंने वृंदा के पतिव्रता धर्म को भंग किया, जिससे जालंधर युद्ध में हार गया और मारा गया।
वृंदा का शाप और शालिग्राम पत्थर का रूप
जब वृंदा को इस धोखे का पता चला, तो वह क्रोधित हो गई और भगवान विष्णु को शाप दिया कि वे हृदयहीन शिला बन जाएं। भगवान विष्णु ने उसका शाप स्वीकार किया और शालिग्राम पत्थर के रूप में बदल गए। इस शाप के कारण सृष्टि में असंतुलन आ गया। सभी देवी-देवता वृंदा से प्रार्थना करने लगे कि वह भगवान विष्णु को शाप से मुक्त करें।
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तुलसी का महत्व और शाप से मुक्ति
वृंदा ने भगवान विष्णु को शाप से मुक्त किया और स्वयं आत्मदाह कर लिया। जहां वृंदा ने आत्मदाह किया, वहां तुलसी का पौधा उग आया। भगवान विष्णु ने वृंदा से कहा कि तुम अपने सतीत्व के कारण मुझे लक्ष्मी से भी अधिक प्रिय हो गई हो, अब तुम तुलसी के रूप में सदा मेरे साथ रहोगी।
तुलसी विवाह के लाभ
भगवान विष्णु ने कहा कि जो भी व्यक्ति शालिग्राम के साथ तुलसी का विवाह करेगा, उसे इस लोक और परलोक में अपार यश मिलेगा। इसके साथ ही, यह भी माना जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वहां यम के दूत भी नहीं जा सकते और घर में शांति और समृद्धि रहती है। तुलसी विवाह को लेकर यह कथा हमें यह सिखाती है कि पतिव्रता धर्म का पालन करने से जीवन में संतुलन और सुख-शांति बनी रहती है, और तुलसी का पौधा समृद्धि का प्रतीक है।