Tulsi Vivah 2025: घर में तुलसी विवाह करते समय इन नियमों का करें पालन, जानें पूजा विधि, मंत्र और उपाय
punjabkesari.in Saturday, Nov 01, 2025 - 05:08 PM (IST)
नारी डेस्क: हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का बहुत विशेष महत्व है। यह पर्व भगवान विष्णु और माता तुलसी (वृंदा) के प्रतीकात्मक विवाह के रूप में मनाया जाता है। तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के अगले दिन किया जाता है और इसी दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत मानी जाती है। यदि आप इस बार घर में तुलसी विवाह करने जा रहे हैं, तो कुछ नियमों और सही विधि का पालन करना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं पूजा की सही विधि, आवश्यक मंत्र और शुभ उपाय।
तुलसी विवाह से पहले की तैयारी
तुलसी विवाह से एक दिन पहले घर की साफ-सफाई करना शुभ माना जाता है। तुलसी चौरा को अच्छे से धोकर साफ करें। चौरे पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर सुंदर रंगोली बनाएं। तुलसी के पौधे को सजाने के लिए फूलों, आम के पत्तों और रंगीन लाइटों का उपयोग करें। विवाह मंडप तैयार करें तुलसी माता और शालिग्राम भगवान को मंडप में आमने-सामने स्थापित करें। भगवान शालिग्राम को नए कपड़े पहनाएं और तुलसी माता को लाल चुनरी ओढ़ाएं।

तुलसी विवाह की पूजा विधि
स्नान और वस्त्र धारण: पूजा करने वाले व्यक्ति को स्नान करके पीले या लाल रंग के साफ वस्त्र पहनने चाहिए।
पूजन की शुरुआत: सबसे पहले गणेश जी और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
तुलसी और शालिग्राम की स्थापना: तुलसी के पौधे के पास भगवान शालिग्राम को रखें।
श्रृंगार: तुलसी माता को लाल चुनरी, बिंदी, गहने और फूलों से सजाएं
विवाह संस्कार
तुलसी माता और शालिग्राम भगवान पर हल्दी-कुमकुम, चावल और फूल चढ़ाएं। तुलसी और शालिग्राम को फूलों की माला पहनाएं। फिर परिवार के सदस्य मिलकर सात फेरे करवाएं और शंख बजाएं। आरती और भोग विवाह पूरा होने के बाद तुलसी और भगवान शालिग्राम की आरती करें और उन्हें मिठाई या पंचामृत का भोग लगाएं।
तुलसी विवाह में बोले जाने वाले प्रमुख मंत्र
पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करने से पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है
(1) भगवान विष्णु के लिए मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः॥
(2) तुलसी माता के लिए मंत्र
तुलसी श्रीसखि शुभे पाप हारिणि पुण्यदे।
नमस्ते नारदस्नेहि नमस्ते विष्णुवल्लभे॥
(3) विवाह संकल्प मंत्र:
मम सर्वपापक्षयपूर्वकं सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थं तुलसी-शालिग्राम विवाहं करिष्ये॥
तुलसी विवाह के नियम जिन्हें जरूर मानें
तुलसी विवाह गोधूलि बेला (शाम के समय) में करना सबसे शुभ माना जाता है। पूजा के समय घर में शुद्ध वातावरण और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहनी चाहिए। तुलसी माता के चौरे पर कभी भी जूते या चप्पल पहनकर न जाएं। इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित होता है। विवाह के बाद तुलसी चौरे के पास दीपक जलाएं, इससे घर में लक्ष्मी का आगमन होता है।
तुलसी विवाह के शुभ उपाय
तुलसी चौरे पर दीपदान: तुलसी विवाह की रात चौरे पर घी का दीपक जलाने से घर में दरिद्रता दूर होती है।
पीला वस्त्र चढ़ाना: तुलसी माता को पीला वस्त्र चढ़ाने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है।
तुलसी का माला धारण: इस दिन तुलसी की माला धारण करने से मानसिक शांति और भक्ति की वृद्धि होती है।
दान-पुण्य करें: तुलसी विवाह के दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या मिठाई का दान करना बेहद शुभ फल देता है।

तुलसी विवाह का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, तुलसी विवाह कराने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। यह विवाह घर में शांति, समृद्धि और वैवाहिक सुख लेकर आता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति तुलसी विवाह संपन्न कराता है, उसे कन्यादान के समान पुण्य प्राप्त होता है।
तुलसी विवाह केवल एक पूजा नहीं, बल्कि यह आस्था, भक्ति और वैवाहिक जीवन की पवित्रता का प्रतीक है। यदि इसे पूरे विधि-विधान और श्रद्धा से किया जाए, तो घर में सकारात्मकता और सुख-शांति बनी रहती है।

