न बारिश रोकी, न ठंड...20 साल से तैरकर बच्चों को शिक्षा देने पहुंचते हैं अब्दुल मलिक
punjabkesari.in Monday, Jun 02, 2025 - 11:10 AM (IST)

नारी डेस्क: दुनियाभर में ऐसे कई शिक्षक हैं जो अपने समर्पण और मेहनत से छात्रों की जिंदगी को बेहतर बनाने में लगे हैं। लेकिन केरल के अब्दुल मलिक की कहानी इन सबसे अलग और बेहद प्रेरणादायक है। वे पिछले 20 सालों से हर दिन नदी तैरकर स्कूल जाते हैं, ताकि बच्चों की पढ़ाई में कोई रुकावट न आए।
कौन हैं अब्दुल मलिक?
अब्दुल मलिक केरल के पदिनजट्टुमुरी गांव के रहने वाले हैं और एक गणित के शिक्षक हैं। उनका स्कूल कडालुंडी नदी के पार है। स्कूल तक पहुंचने के लिए वह हर दिन नदी तैरकर जाते हैं। यही वजह है कि उनके छात्र उन्हें प्यार से ‘ट्यूब मास्टर’ बुलाते हैं।
ट्यूब लेकर नदी पार करते हैं
अब्दुल मलिक हर सुबह अपनी किताबें, कपड़े, जूते और अन्य ज़रूरी सामान को एक प्लास्टिक बैग में रखते हैं और उसे रबर की टायर ट्यूब पर बांधते हैं। फिर उसी ट्यूब के सहारे कडालुंडी नदी को तैरकर पार करते हैं। यह तरीका उन्हें हर दिन स्कूल पहुंचने में देरी से बचाता है।
न 1 दिन की छुट्टी, न कभी देर से पहुंचे स्कूल
पिछले 20 वर्षों में अब्दुल मलिक ने कभी एक भी दिन स्कूल से छुट्टी नहीं ली, और न ही वह स्कूल लेट पहुंचे। यह बात अपने आप में उनके समर्पण और अनुशासन को दर्शाती है। अब्दुल मलिक ने एक इंटरव्यू में बताया कि अगर वे बस से स्कूल जाएं तो लगभग 12 किलोमीटर के सफर में उन्हें 3 घंटे तक लग सकते हैं। इतना समय बचाने के लिए उन्होंने तैराकी का रास्ता अपनाया। तैरकर स्कूल जाने में उन्हें केवल 15 से 30 मिनट का समय लगता है।
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छात्रों को सिखाते हैं तैराकी और प्रकृति से प्रेम
अब्दुल मलिक केवल गणित ही नहीं पढ़ाते, बल्कि बच्चों को तैराकी भी सिखाते हैं ताकि वे पानी से डरें नहीं। इसके अलावा वह बच्चों को प्रकृति का महत्व और पर्यावरण की रक्षा करने की शिक्षा भी देते हैं।
नदी सफाई अभियान भी चला रहे हैं
अब्दुल मलिक एक पर्यावरण प्रेमी भी हैं। वह अपने छात्रों के साथ मिलकर कडालुंडी नदी की सफाई करते हैं। यह अभियान उन्होंने तब शुरू किया जब एक रिपोर्ट में बताया गया कि नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है। अब वह अपने छात्रों के साथ मिलकर इस नदी को स्वच्छ बनाने में जुटे हैं।
प्रेरणा का स्रोत बने अब्दुल मलिक
अब्दुल मलिक की यह कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है और लोग उन्हें एक सच्चे शिक्षक और समाजसेवी के रूप में देख रहे हैं। उनका यह समर्पण हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो शिक्षा को सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम मानता है।