300 साल पुराना है ''स्वादिष्ट'' तिरुपति लड्डू का इतिहास, इन खास सामग्रियों से बनता है यह प्रसादम!

punjabkesari.in Friday, Sep 20, 2024 - 11:58 AM (IST)

नारी डेस्क:  दुनिया भर में प्रसिद्ध प्रसाद तिरुपति लड्डू को लेकर विवाद पैदा हो गया है। दावा किया जा रहा है कि अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दिन जो 1 लाख लड्डू तिरुपति मंदिर से भेजे गए थे, उनमें बीफ, सुअर की चर्बी और मछली का तेल मिलाया गया था। तिरुपति बालाजी मंदिर में ये खास तरह का लड्डू का प्रसाद मिलता है।  यह न केवल एक मिठाई है, बल्कि इसके पीछे एक समृद्ध इतिहास और धार्मिक महत्व भी है। आज हम आपको तिरुपति लड्डू का इतिहास, उसकी खासियत, और उसे बनाने की प्रक्रिया के बारे में बताने जा रहे हैं।

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तिरुपति लड्डू का इतिहास

तिरुपति लड्डू का इतिहास लगभग 300 साल पुराना है। कहा जाता है कि 1715 में तिरुमला मंदिर प्रशासन ने इसे भगवान वेंकटेश्वर को प्रसाद के रूप में अर्पित करना शुरू किया। तिरुपति लड्डू को 2009 में **जीआई टैग** (Geographical Indication Tag) प्राप्त हुआ, जिससे यह प्रसाद एक विशिष्ट पहचान और कानूनी सुरक्षा के तहत आ गया। इसका मतलब है कि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के अलावा कोई और इसका उत्पादन और बिक्री नहीं कर सकता। तिरुपति लड्डू को भगवान वेंकटेश्वर की कृपा का प्रतीक माना जाता है, और इसे विशेष अनुष्ठानों के बाद प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। 

तिरुपति लड्डू की खासियत

 तिरुपति लड्डू का स्वाद बहुत अनोखा होता है। इसका सटीक मिश्रण इसे न तो बहुत मीठा और न ही बहुत हल्का बनाता है। लड्डू की बनावट हल्की और थोड़ी दानेदार होती है। लड्डू को बनाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बेसन, शुद्ध घी, काजू, किशमिश, और इलायची जैसी सामग्री का उपयोग किया जाता है। इन सामग्रियों से इसे स्वादिष्ट और विशेष बनाया जाता है। हर साल लाखों की संख्या में तिरुपति लड्डू बनाए और वितरित किए जाते हैं। यह भक्तों के लिए मंदिर का मुख्य प्रसाद है। पहले तिरुपति लड्डू को भक्तों को मुफ्त में दिया जाता था, लेकिन अब इसकी एक निश्चित कीमत होती है, हालांकि यह बहुत सस्ता होता है ताकि हर कोई इसे प्राप्त कर सके।

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तिरुपति लड्डू बनाने की प्रक्रिया

तिरुपति लड्डू को बनाने की प्रक्रिया अत्यधिक संरक्षित और पारंपरिक होती है। इसे बनाने की विधि पीढ़ियों से चली आ रही है। यहां इसकी प्रक्रिया का संक्षिप्त विवरण है:

 मुख्य सामग्री

-बेसन (चना दाल का आटा)
-चीनी
-शुद्ध घी
-काजू
-किशमिश
-इलायची।


प्रक्रिया

-सबसे पहले बेसन को शुद्ध घी में मिलाकर मध्यम आंच पर भूना जाता है। इसे हल्का सुनहरा होने तक भूना जाता है।
-इसके बाद, शक्कर की चाशनी बनाई जाती है, जिसे सही गाढ़ापन आने तक पकाया जाता है।
-फिर भूने हुए बेसन को चाशनी में मिलाया जाता है और इसमें काजू, किशमिश, और इलायची डाली जाती हैं।
-इस मिश्रण को ठंडा होने के बाद हाथों से लड्डू के आकार में बनाया जाता है।
-तिरुमला मंदिर में विशेष रूप से प्रशिक्षित कारीगरों द्वारा इस प्रसाद को तैयार किया जाता है, और इसे बनाने के लिए बड़े-बड़े भट्ठियों और उपकरणों का उपयोग किया जाता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

तिरुपति लड्डू को भगवान वेंकटेश्वर की कृपा और आशीर्वाद के रूप में देखा जाता है। इसे खाने से भक्तों को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है और इसे धार्मिक समारोहों में भी बहुत सम्मान के साथ ग्रहण किया जाता है।  तिरुमला मंदिर आने वाले हर भक्त के लिए यह प्रसाद बेहद महत्वपूर्ण होता है, और इसे भगवान के साथ एक आत्मीय संबंध के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। तिरुपति लड्डू न केवल एक स्वादिष्ट मिठाई है, बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। इसके निर्माण की परंपरा और गुणवत्ता ने इसे दुनिया भर में एक विशिष्ट स्थान दिलाया है।
 


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vasudha

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