तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है... घर की चारदीवारी से निकल देश सेवा में जुटी ये बहादुर महिलाएं
punjabkesari.in Wednesday, Mar 08, 2023 - 03:46 PM (IST)
तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है... आज की ही महिला इतनी शक्तिशाली हो गई है कि वह घर ही नहीं अब देश को भी संभाल सकती है। वह बच्चों का लालन पालन कर सकती हैं तो सीमा पर देश की रक्षा भी कर सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आज आपको उन दमदार महिला अधिकारियों से रू-ब-रू करवाएंगे जो अदम्य साहस से देश का मान बढ़ाने के साथ- साथ हर नारी को भी प्रेरित कर रही हैं। इन्होंने ना सिर्फ अपने सपनों को उड़ान दी बल्कि बाकी लड़कियों को भी उड़ना सिखाया।
मेजर भावना स्याल
अपने परिवार से तीसरी पीढ़ी की सैनिक मेजर भावना स्याल का कहना है कि बचपन से ही उनका सपना सैन्य बलों में सेवा देने का था क्योंकि ‘‘उनकी रगों में (वर्दी का) हरा रंग दौड़ रहा है।'' मेजर भावना ‘सिग्नल ऑफिसर' के तौर पर पूर्वी लद्दाख में तैनात हैं। वर्ष 2012 में सिग्नल कोर में नियुक्त हुईं मेजर भावना संचार कार्य का जिम्मा उठा रही हैं, जो सेना के लिए बेहद अहम है।
शिल्पी गर्गमुख
शिल्पी गर्गमुख को वर्दी से इतना प्यार था कि वह TCS में इंजीनियर की नौकरी छोड़ सेना में अफसर बन गई। उन्होंने देश की पहली प्रादेशिक सेना ऑफिसर लेफ्टिनेंट बनने का गौरव हासिल किया है। हौसला और हुनर के दम पर शिल्पी ने अपने सपने को पूरा कर दिखाया।
किरण शेखावत
लेफ्टिनेंट किरण शेखावत की ऑन ड्यूटी शहीद होने वाली देश की पहली महिला सैन्य अफसर के रूप में जाना जाता है। 2015 में राजस्थान की एक बेटी किरण ने इतिहास में एक शहीद वीरांगना के रूप में अपना नाम हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज करा लिया। 22 साल की उम्र में नौसेना में भर्ती होने वाली किरण ड्यूटी पर शहीद होने वाली पहली महिला सैनिक है।
कैप्टन शिवा चौहान
कैप्टन शिवा चौहान 15,632 फीट ऊंचे कुमार पोस्ट पर तैनात होने वाली भारत की पहली महिला अधिकार है।कुमार पोस्ट में तैनाती से पहले शिवा भारतीय सेना की फायर एंंड फ्यूरी कॉर्प्स की कैप्टन रह चुकी हैं। कैप्टन शिवा इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से हैं और इंडियन आर्मी में इंजीनियर रेजिमेंट का हिस्सा बनी हैं। राजस्थान के रहने वाले कैप्टन शिवा चौहान बंगाल सैपर ऑफिसर हैं।
गुंजन सक्सेना
गुंजन सक्सेना पहली महिला हैं जिन्हें करगिल में उनके योगदान के लिए शौर्य चक्र से नवाज़ा गया है। वह कारगिल गर्ल के नाम से भी जानी जाती हैं , करगिल में भारत-पाक युद्ध के दौरान वहां तैनात पहली महिला थीं, उन्होंने 500 से अधिक घायल सैनिकों को द्रास इत्यादि जगहों से निकालने, सेना को ज़रूरी सामग्री पहुंचाने और दुश्मनों के ठिकाने ढूंढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
प्रिया झिंगन
प्रिया झिंगन इंडियन आर्मी की पहली महिला अफसर बनी थी। उनके बारे में एक खास बात यह है कि प्रिया झिंगन चेन्नई अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी में कैडेट नंबर 001 (Indian Army officer and Lady Cadet No.1) बनी थीं। प्रिया का मानना था कि एक बहुत बड़ी तनख्वाह वाली नौकरी करने के बजाए देश की वर्दी पहनकर देश की सेवा करना गर्व की बात है ।