वो बीमारी जिसमें बच्चों का घुटता है दम,  नाक बहना और खांसी है इसके आम लक्षण

punjabkesari.in Wednesday, Sep 10, 2025 - 01:50 PM (IST)

नारी डेस्क:  एक अध्ययन के अनुसार स्वस्थ शिशुओं को भी गंभीर रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (आरएसवी) संक्रमण के कारण गहन देखभाल या लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती होने का खतरा होता है - खासकर जीवन के पहले तीन महीनों के दौरान। आरएसवी छोटे बच्चों में श्वसन संक्रमण का एक आम कारण है। हर साल, आरएसवी के कारण 36 लाख बच्चे अस्पताल में भर्ती होते हैं और पांच साल से कम उम्र के बच्चों में लगभग 1,00,000 आरएसवी-संबंधित मौतें होती हैं।


23 लाख बच्चों का लिया गया आंकड़ा

स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने 2001 से 2022 के बीच स्वीडन में जन्मे 23 लाख से ज़्यादा बच्चों के आंकड़ों का विश्लेषण किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि आरएसवी संक्रमण से गंभीर जटिलताओं या मृत्यु का सबसे ज़्यादा ख़तरा किसे है। द लैंसेट रीजनल हेल्थ-यूरोप में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चला है कि जिन बच्चों को गहन देखभाल की ज़रूरत थी या जिन्हें लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा, उनमें सबसे बड़ा समूह तीन महीने से कम उम्र का था, जो पहले स्वस्थ थे और पूर्ण अवधि में पैदा हुए थे। अध्ययन में शामिल कुल 1.7 प्रतिशत बच्चों में आरएसवी संक्रमण का निदान किया गया। इनमें से लगभग 12 प्रतिशत (4,621 बच्चे) गंभीर रूप से बीमार थे।


इन बच्चों को खतरा ज्यादा

शोधकर्ताओं ने कई ऐसे कारकों की भी पहचान की जो गहन देखभाल की आवश्यकता या मृत्यु के बढ़ते जोखिम से जुड़े थे। सर्दियों में पैदा हुए बच्चों, या जिनके 0-3 वर्ष की आयु के भाई-बहन या जुड़वां बच्चे थे, उनमें जोखिम लगभग तीन गुना बढ़ गया था, जबकि जन्म के समय छोटे बच्चों में जोखिम लगभग चार गुना बढ़ गया था। जिन बच्चों को पहले से ही कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या थी, उनमें गंभीर बीमारी या मृत्यु का जोखिम चार गुना से भी ज़्यादा था। अच्छी खबर यह है कि अब नवजात शिशुओं को निवारक उपचार और गर्भवती महिलाओं को टीका दिया जा सकता है।


RSV क्या है?

यह एक श्वसन संबंधी वायरस है, जो नाक, गले और फेफड़ों को प्रभावित करता है। हर साल सर्दियों और बदलते मौसम में इसके मामले बढ़ जाते हैं। RSV सिर्फ कमजोर इम्यूनिटी वाले या बीमार बच्चों को ही नहीं, बल्कि पूरी तरह स्वस्थ बच्चों को भी प्रभावित कर सकता है। इसका कारण है कि बच्चों की इम्यूनिटी सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं होती। वायरस बहुत तेजी से फैलता है और फेफड़ों तक पहंच सकता है। शिशुओं की सांस की नलियां (airways) छोटी होती हैं, जिससे जल्दी ब्लॉकेज हो जाता है।

RSV के लक्षण

-नाक बहना

-खांसी और छींक

-बुखार

-भूख कम लगना

-तेज सांस लेना या सांस फूलना

-सीटी जैसी आवाज़ के साथ सांस आना


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Content Writer

vasudha

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