देश का पहला मंदिर जहां होती है रक्तहीन बलि, जानिए मंदिर के चौंकाने वाले रहस्य!
punjabkesari.in Saturday, Nov 22, 2025 - 03:30 PM (IST)
नारी डेस्क : बिहार के कैमूर जिले में स्थित माता मुंडेश्वरी का मंदिर रहस्यों और चमत्कारों से भरा हुआ है। इस मंदिर की सबसे खास और अनोखी परंपरा है—बकरों की रक्तहीन (अहिंसक) बलि। यहां बिना खून बहाए मां को बलि अर्पित की जाती है, जिसे लोग बड़ी श्रद्धा और विश्वास से निभाते हैं।
माता मुंडेश्वरी का मंदिर कहां स्थित है?
माता मुंडेश्वरी का प्राचीन मंदिर बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड के पवरा पहाड़ी पर स्थित है। हर दिन यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। मान्यता है कि यह मंदिर भारत के सबसे प्राचीन जीवित मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि मंदिर की खोज 635 ईसा पूर्व में हुई थी, हालांकि इसके निर्माणकर्ता और वास्तविक समय का स्पष्ट प्रमाण आज तक नहीं मिला है।

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मंदिर की सबसे अनोखी प्रथा – अहिंसक बलि
इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है यहां की अहिंसक बलि की परंपरा।
यहां बकरे को बिना खून बहाए बलि चढ़ाया जाता है।
पुजारी मंत्रों का उच्चारण करते हुए अक्षत (चावल) और फूल से बकरे को बेहोश कर देते हैं।
इसी बेहोशी की अवस्था को मां द्वारा बलि स्वीकार करना माना जाता है।
आज पूरे भारत में पशु बलि पर रोक है, इसलिए इस मंदिर की अहिंसक परंपरा को विशेष महत्व दिया जाता है।

मंदिर में स्थित अद्भुत मूर्तियां
मंदिर के गर्भगृह में पूर्व दिशा में वराह स्वरूप में मां मुंडेश्वरी की मूर्ति स्थापित है। मंदिर के मध्य में चौमुखी शिवलिंग है, जिसके बारे में स्थानीय लोगों का दावा है कि इसका रंग दिन में दो से तीन बार बदलता है, जो इसकी रहस्यमयता को और बढ़ा देता है। यहां मां मुंडेश्वरी को भोग के रूप में तांडूल चढ़ाया जाता है, जिसे शुद्ध देसी घी और चावल से तैयार किया जाता है। देश-विदेश से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं, और मां के धाम तक पहुंचने के लिए 525 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।

