World Spine Day: हड्डियों में भी घुस सकता है TB, समय रहते करें लक्षणों की पहचान
punjabkesari.in Saturday, Oct 16, 2021 - 11:38 AM (IST)
ट्यूबरक्लोसिस यानी टीबी की बीमारी लाइलाज या खतरनाक नहीं है लेकिन इसकी अनदेखी जानलेवा साबित हो सकती है। अक्सर लोगों को लगता है कि टीबी सिर्फ फेफड़ों में होती है जबकि ऐसा नहीं है। यह बीमरी हड्डियां, दिमाग, पेट, किडनी, जननांग, आंखों, मुंह-नाक यहां तक कि यूट्रस में भी हो सकती है। भारतीयों में बोन टीबी जिसे स्पाइनल टीबी व अस्थि क्षयरोग भी कहा जाता है के मामले सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं। आंकड़ों की मानें तो भारत में हर साल करीब 15 लाख टीबी के मरीज आते हैं, जिसमें 5 में से 10% यानी लगभग 1 लाख 50 हजार केस बोन टीबी (Bone TB) के होते हैं।
क्या है बोन टीबी?
एक्सपर्ट की मानें तो बोन टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबर्क्युलोसिस नामक बैक्टीरिया से होता है, जो एक्टिव टीबी के मरीज के एयर ड्रॉपलेट से फैलता है। यह ज्यादातर फेफड़ों पर असर डालता है लेकिन अगर आपकी इम्यूनिटी अच्छी है तो यह वहां असर नहीं कर पाएगा। ऐसे में यह खून के जरिए पेट और हड्डियां, रीढ़ की हड्डी, जोड़ों में पहुंचने की कोशिश करता है। जोड़ों में बोन टीबी होने के चांसेज सबसे ज्यादा होते हैं।
बोन टीबी के कारण
. एक्टिव मरीज से इंफेक्शन के कारण
. कमजोर इम्यूनिटी
. लंबे समय से कोई इंफेक्शन
. कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट
. स्मोकिंग या शराब का अधिक सेवन
. लिवर, फेफड़ों या किडनी की कोई बीमारी है, जिसके कारण आप लंबे समय से दवाइयां लो रहे हो
चलिए अब जानते हैं बोन टीबी के लक्षण
इसकी सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि बोन टीबी के लक्षण शुरुआती दिनों में नहीं बल्कि एडवांस्ड स्टेज पर पहुंचने के बाद दिखाई देते हैं। हालांकि कुछ छोटे-छोटे संकेतों से आप इसकी पहचान कर सकते हैं।
. भूख न लगना
. अचानक वजन कम होना
. पूरे दिन बैचनी रहना और शाम को बुखार चढ़ना
. टीबी वाले भाग में सूजन व दर्द
. स्किन लाल पड़ना
. पीठ में दर्द रहेगा
. एडवांस्ड स्टेज में हड्डी का आकार बदलना
. इसके अलावा पैरों में लकवा भी मार सकता है
क्या इलाज संभव?
. बोन कैंसर के स्टेज के हिसाब डॉक्टर एंटीकॉक्स ट्रीटमेंट (Anticox Treatment) की सलाह देते हैं, जिसमें 6 से 18 महीने का कोर्स होता है। इसके अलावा फिजियोथेरपी भी करवाई जा सकती है।
. एडवांस्ड स्टेज में हड्डियों का आकार बदल जाता है या लकवा मार जाए तो डॉक्टर ऑपरेशन की सलाह देते हैं क्योंकि इसके कारण रीढ़ की हड्डी में रस्सी सी बन जाती है, जिससे निकालना जरूरी होता है। टीबी का इंफेक्शन पूरी तरह खत्म होने के चांसेज ज्यादा होते हैं।
कैसे रखें बचाव?
1. सबसे पहले तो टीबी ग्रस्त मरीज से जितना हो सके दूरी बनाकर रखें। साथ ही उनका झूठा खाने से भी बचें।
2. इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए डाइट में बीन्स, चुकंदर, गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्रोकली, नारियल पानी, ग्रीन टी मौसमी फल, दूध-दही, पनीर जैतून तेल जैसी हैल्दी चीजें लें।
3. टीबी के मरीज अपनी खराक में एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फूड्स ज्यादा लें क्योंकि इससे इम्यूनिटी बढ़ती है।
4. स्वस्थ रहने के लिए योग या एक्सरसाइज करना सबसे जरूरी है। इसके अलावा स्मोकिंग और शराब से जितना हो सके परहेज करें।
5. खांसते या छींकते समय मरीज मुंह पर रुमाल रख लें, ताकि कीटाणु दूसरे लोगों को संक्रमित न करें। साथ ही मरीज के कफ या थूक को मिट्टी में दबा दें।
समय रहते बीमारी अगर बीमारी को पकड़ लिया जाए तो इलाज संभव है। ऐसे में सतर्क रहें और स्वस्थ रहें।