Women Power: आसान नहीं था स्मिता का फिल्मी सफर, जानिए उनकी स्ट्रगलिंग स्टोरी

punjabkesari.in Thursday, Feb 07, 2019 - 03:36 PM (IST)

दर्द, लाचारी, क्रोध, तेज, बेबाक हंसी और भोलापन, ये सारे भाव अलग-अलग हैं, लेकिन अगर ये भाव किसी एक चेहरे पर जिंदा हो जाएं तो वो चेहरा है स्मिता पाटिल। अलग-अलग किरदारों में पूरी तरह डूब जाने के लिए स्मिता पाटिल मशहूर थीं इसलिए उन्हें पांच बार बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिल चुका है। स्मिता पाटिल ने बॉलीवुड पर लगभग दो दशकों तक राज किया। इस दौरान उन्होंने पैरेलल सिनेमा में अपनी ना मिटने वाली छाप छोड़ी है। आइए जानते हैं उनकी जुड़ी कुछ अनसुनी बातें-

 

अपनी एक्टिंग से बनाई खास जगह

जिस वक्त स्मिता पाटिल ने बॉलीवुड में कदम रखा था, उस वक्त सिर्फ पुरुष पर ही कहानियां टिकी होती थी और महिला को सिर्फ कॉ-एक्ट्रस के तौर पर जाना जाता था लेकिन स्मिता पाटिल  एक ऐसी अदाकारा के तौर पर उभरीं, जिसका जादू सिनेमा से जुड़े हर शख्स ने महसूस किया। जिस दौर में महिलाओं की भूमिका महज शो-पीस के तौर पर हुआ करती थी,स्मिता पाटिल ने उस दौर में इसके बिल्कुल उलट किरदार निभाएं।

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समाज की रूढ़ियों को तोड़ा

स्मिता पाटिल ने सशक्त महिला किरदार निभाए और उन सभी में उम्दा परफॉर्मेंस दी। इससे समाज में उस समय में प्रचलित रूढ़ियों को पूरी तरह से महसूस किया जा सकता था। उस समय के सिनेमा में वह सबसे टैलेंटेड एक्ट्रेसेस में शुमार थीं। 

 

हर मुश्किल का डटकर करें सामना

फिल्म 'मंथन' अपने समय की नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्म रही है। इस फिल्म में स्मिता पाटिल ने एक ऐसी महिला का किरदार निभाया था, जिसके साथ शादी के बाद बुरा व्यवहार होता है। राजकोट की दलित पॉलिटिक्स पर आधारित यह फिल्म दिहाड़ी मजदूरों के संघर्ष, जाति प्रथा और इस तबके से आने वाली महिलाओं के यौन शोषण को प्रमुखता से दिखाया गया है। 

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अपने फैसले लेने के लिए आजाद हैं महिलाएं

1977 में आई इस फिल्म में एक ऐसी महिला की बात की गई है, जो प्यार की तलाश में कई रिलेशनशिप्स से गुजरती है, लेकिन आखिर में एक मायाजाल में फंसकर वह कैदी बन जाती है। इस नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्म में स्मिता पाटिल ने ऊषा का किरदार निभाया है, जो खुद को बंधन में रखे जाने के खिलाफ है। बड़े सपने देखने वाली इस शादीशुदा महिला का किरदार स्मिता पाटिल ने पूरी मैच्योर तरीके से निभाया है। 

 

हर किरदार में नजर आया परफेक्शन

आज भी जब कभी बॉलीवुड के बेहतरीन कलाकारों का ज़िक्र होता है तो उनमें स्मिता पाटिल का नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है। सिनेमा के आकाश पर स्मिता एक ऐसे सितारे की तरह रहीं जिन्होंने अपनी सहज और सशक्त अभिनय से कमर्शियल सिनेमा के साथ-साथ समानांतर सिनेमा में भी अपनी एक ख़ास पहचान बनायी। वह अपने किरदार में इस तरह डूब जाती थी कि उनका किरदार जीवित हो उठता था और लोग उनके काम की तारीफ करते हुए नहीं थकते थे। स्मिता ने एक ही समय में कभी पत्नि,तो कभी मां का भी रोल निभाया। उनकी सारी फिल्मों से महिलाओं को समाज की रुढ़़ियों को तोड़ने से लेकर अपने शरीर पर अपना हक होने की आजादी का हुनर देखने को मिलता है।

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आज भी स्मिता पाटिल को एक ऐसी शख्सीयत के तौर पर याद किया जाता है, जिसने अपने किरदारों से महिलाओं में आत्मविश्वास भरा। उनका काम का दबदबा सिर्फ महिलाओं में ही नहीं बल्कि पुरुषों पर भी था। उनकी असमय मौत ने सिने जगह की एक बेहतरीन प्रतिभा को हमसे छीन लिया, लेकिन उनकी यादें ताउम्र उनके सजीव किरदारों के साथ हमारे जेहन में ताजा रहेंगी। उनके काम के प्रति लगन और उनकी जिंदा दिली हमेशा ही महिलाओं को प्रेरित करती रहेगी।  


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Content Writer

Vandana

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