शिव विवाह कथा: भूत-प्रेतों की बारात लेकर पहुंचे थे भोलेनाथ, भयानक रूप वाले शिव काे देखकर देवी मैना हुई बेहोश
punjabkesari.in Tuesday, Feb 25, 2025 - 03:54 PM (IST)
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नारी डेस्क: भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह सबसे अनोखा और अद्भुत विवाह माना जाता है। कहा जाता है कि शिवजी की बारात इतनी विचित्र और अनोखी थी कि जब माता पार्वती की मां, मैना देवी ने इसे देखा, तो वे बेसुध (बेहोश) हो गईं थी। चलिए जानते हैं श्री रामचरितमानस के बालकांड में वर्णित शिव जी की बारात का पूरा वर्णन।
विचित्र और भयंकर थी शिव बारात
जब भगवान शिवमाता पार्वती से विवाह के लिए कैलाश पर्वत से बारात लेकर निकले, तो उनकी बारात आम राजाओं की बारात जैसी नहीं थी। यह बारात विचित्र, भयंकर और रहस्यमयी थी। शिवजी का रूप ही सबसे अलग था, उन्होंने अपने शरीर पर भस्म (राख) लगा रखी थी। उनके गले में सर्पों की माला थी। वे व्याघ्रचर्म (बाघ की खाल) पहनकर आ रहे थे। उनके माथे पर चंद्रमा और तीसरी आंख थी। इस अनोखी बारात में असुर, भूत-प्रेत, पिशाच, नाग, अघोरी और राक्षस शामिल थे। ये सभी जोर-जोर से नाच रहे थे और भयंकर ध्वनि कर रहे थे। कुछ बाराती विकराल रूप में थे, तो कुछ के शरीर का कोई अंग अधूरा था।
भयानक रूप वाले शिव काे देखकर देवी मैना हुई बेहोश
जब माता पार्वती की मां, देवी मैना ने यह विचित्र बारात देखी, तो वे अत्यंत डर गईं और बेसुध (बेहोश) हो गईं। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि उनकी सुंदर और कोमल हृदय वाली बेटी पार्वती का विवाह इस भयानक रूप वाले शिव से होने जा रहा है। उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह रोकने का प्रयास किया, लेकिन माता पार्वती ने उन्हें समझाया कि शिवजी असली मायने में सबसे सुंदर और दिव्य हैं। माता पार्वती ने ही भगवान शिव से अनुरोध किया कि वे अपना सौम्य रूप दिखाएं, जिसके बाद शिवजी ने अपनी सुंदर और आकर्षक दिव्य रूप प्रकट किया। तब माता मैना ने राहत की सांस ली और विवाह के लिए सहमत हो गईं।
शिवजी की बारात में शामिल प्रमुख बाराती
भगवान विष्णु – वे इस विवाह के साक्षी बने और देवताओं के प्रतिनिधि थे।
देवराज इंद्र – देवताओं के राजा इंद्र अपनी सेना के साथ आए।
ऋषि-मुनि – महर्षि नारद, ब्रह्मा जी और अन्य ऋषि बारात में शामिल हुए।
नंदी बैल – शिवजी के वाहन नंदी इस बारात का प्रमुख हिस्सा थे।
भूत-प्रेत और पिशाच – शिवजी के गण, जो बहुत डरावने और विचित्र थे।
नाग-राज वासुकी – शिवजी के गले में लिपटे नाग देवता भी बारात में शामिल थे।
गंधर्व और यक्ष – जो शिवजी की बारात में नृत्य और संगीत का आयोजन कर रहे थे।
शिव-पार्वती विवाह का महत्व
यह विवाह आध्यात्मिकता और भक्ति का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि प्रेम केवल बाहरी सुंदरता से नहीं, बल्कि आत्मा से जुड़ा होता है।
भगवान शिव ने त्याग, सादगी और तपस्या का संदेश दिया। माता पार्वती ने भक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बनकर शिवजी को प्राप्त किया।