''स्नान लायक नहीं संगम का जल'', रिपोर्ट पर भड़के शंकराचार्य, योगी सरकार पर उठाए सवाल
punjabkesari.in Wednesday, Feb 19, 2025 - 11:07 AM (IST)
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नारी डेस्क: महाकुंभ 2025 के दौरान संगम के जल की गुणवत्ता को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) ने हाल ही में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें प्रयागराज के महाकुंभ में तटों के पानी को नहाने के लिए अयोग्य बताया गया। 9 से 21 जनवरी के बीच 73 विभिन्न स्थानों से लिए गए पानी के सैंपल्स में से अधिकांश को स्नान लायक नहीं पाया गया। यह रिपोर्ट एक बड़ा सवाल खड़ा करती है कि महाकुंभ के दौरान पानी की सफाई और सुरक्षा व्यवस्था में कितनी कमी रही है।
इस मामले पर विपक्षी दलों ने केंद्र और राज्य सरकारों को घेरते हुए सवाल उठाए हैं, लेकिन अब इस मुद्दे पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने भी योगी सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले ही इस समस्या को उठाया था, लेकिन सरकार और प्रशासन ने इसे नजरअंदाज किया।
एनजीटी के आदेशों को नकारा गया
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, "नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने महाकुंभ शुरू होने से पहले ही स्पष्ट किया था कि गंगा और यमुना की धाराएं स्नान लायक नहीं हैं। उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिए थे कि नदियों में गिर रहे मल-जल के नालों को रोका जाए ताकि श्रद्धालुओं को शुद्ध जल मिल सके, लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।"
"कुंभ शुरू होने से पहले ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस बात को उजागर कर दिया था कि गंगा और यमुना के पानी की गुणवत्ता स्नान के लिए अच्छी नहीं है। उन्होंने विशेष रूप से नदी में नालों के प्रवाह को नियंत्रित करने पर कुछ निर्देश भी जारी किए थे। #महाकुंभ pic.twitter.com/UmtOiPfE6V
— Dinesh Bhardwaj (@bhardwaj2509) February 19, 2025
मूल व्यवस्थाओं को नजरअंदाज किया गया
शंकराचार्य ने आगे कहा, "सरकार दावा करती रही कि हमने कई व्यवस्थाएं की हैं, लेकिन सबसे जरूरी काम, यानी स्नान के लिए शुद्ध जल की व्यवस्था, नहीं की गई। हम महाकुंभ अधिकारियों से रोजाना तटों से पानी के सैंपल लेकर रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग कर रहे थे, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज किया। नतीजतन, पूरा मेला खत्म हो गया और पानी की गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।"
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गंगा जल में मल दिखाए जाने के वीडियो
अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, "हमने कई वीडियो देखे हैं जिसमें लोग गंगा के पानी में मल दिखा रहे हैं। गंगा मैया की पवित्रता पर कोई सवाल नहीं उठा सकता, लेकिन अगर उनका भौतिक स्वरूप ही प्रदूषित है, तो इसका दोष सरकार पर जाता है। पिछले अर्धकुंभ में सरकार ने दावा किया था कि महाकुंभ में गंगा के पानी में नाले नहीं गिरने दिए जाएंगे, लेकिन इस बार भी यही स्थिति बनी रही।"
VIP भी मलयुक्त जल में स्नान करते हैं
उन्होंने यह भी कहा कि यह सिर्फ आम श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य और आस्था का सवाल नहीं है, बल्कि VIP कल्चर भी इसमें शामिल है। "सरकार ने VIP व्यक्तियों के लिए पूरा क्षेत्र खाली किया और उन्हें स्नान के लिए मलयुक्त जल दिया। आखिरकार, वीआईपी भी उसी पानी में स्नान करके गए, जिसका गुणवत्ता खराब थी। यह सरकार की गंभीरता को दर्शाता है," शंकराचार्य ने कहा।
शंकराचार्य ने योगी सरकार पर सख्त आरोप लगाए और कहा कि यह करोड़ों लोगों की आस्था, उनकी भावनाओं और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने की अपील की।