मां -बाप का एक जैसा Blood Group बच्चे को हैल्थ प्रॉब्लम देता है? पढ़िए Expert की राय
punjabkesari.in Monday, Oct 27, 2025 - 07:25 PM (IST)
नारी डेस्क: अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि अगर पति-पत्नी का ब्लड ग्रुप एक जैसा हो, तो क्या इससे बच्चे के जन्म या सेहत पर कोई असर पड़ता है? मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार, ऐसा बिल्कुल नहीं है। पति-पत्नी का एक जैसा ब्लड ग्रुप होना किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या का कारण नहीं बनता। यह एक सामान्य जेनेटिक प्रक्रिया है जो माता-पिता से बच्चों में विरासत में आती है। हालांकि, असली चिंता तब होती है जब बात आती है Rh फैक्टर की।
एक जैसा ब्लड ग्रुप होने पर कोई नुकसान नहीं
अगर पति-पत्नी दोनों का ब्लड ग्रुप एक ही है, जैसे कि दोनों A+, B+, या O+, तो इसमें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती।
इस स्थिति में बच्चे का ब्लड ग्रुप भी आमतौर पर माता-पिता जैसा ही होता है।

उदाहरण के लिए
अगर मां और पिता दोनों का ब्लड ग्रुप A+ है, तो बच्चे का ब्लड ग्रुप भी A+ होने की संभावना रहती है।
इस स्थिति में गर्भावस्था या बच्चे के स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता।
इतना ही नहीं, ऐसे कपल्स को जरूरत पड़ने पर एक-दूसरे को ब्लड डोनेट करने का फायदा भी मिल सकता है।
असली समस्या Rh फैक्टर से जुड़ी होती है
ब्लड ग्रुप के साथ एक और जरूरी पहलू होता है Rh फैक्टर।
यह एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो ब्लड सेल्स की सतह पर पाया जाता है।
जिनके खून में यह प्रोटीन मौजूद होता है, उन्हें Rh पॉजिटिव (Rh+) कहा जाता है।
जिनमें यह प्रोटीन नहीं होता, उन्हें Rh नेगेटिव (Rh–) कहा जाता है।
अब दिक्कत तब होती है जब महिला Rh– (नेगेटिव) और पति Rh+ (पॉजिटिव) होता है।

Rh नेगेटिव महिला और Rh पॉजिटिव पुरुष के मामले में क्या होता है?
अगर Rh– मां के गर्भ में Rh+ बच्चे का विकास होता है, तो मां का शरीर बच्चे की ब्लड सेल्स को “विदेशी” मानकर उसके खिलाफ Rh एंटीबॉडीज़ बनाना शुरू कर देता है। ये एंटीबॉडीज बच्चे की रेड ब्लड सेल्स पर हमला कर सकती हैं। पहली प्रेग्नेंसी में आमतौर पर कोई बड़ा खतरा नहीं होता। लेकिन दूसरी या अगली प्रेग्नेंसी में यही एंटीबॉडीज बच्चे में एनिमिया, जॉन्डिस या गंभीर मामलों में ब्लड ट्रांसफ्यूजन जैसी समस्याएं पैदा कर सकती हैं।
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मेडिकल साइंस में इसका समाधान मौजूद है
अगर किसी महिला का ब्लड ग्रुप Rh– (नेगेटिव) है, तो डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान एक विशेष इंजेक्शन Rh Immunoglobulin (RhIg) देते हैं।
यह इंजेक्शन शरीर में Rh एंटीबॉडी बनने से रोकता है और अगले गर्भ में बच्चे को किसी भी तरह के नुकसान से बचाता है।
इसलिए कपल्स को शादी से पहले या गर्भधारण से पहले ब्लड ग्रुप और Rh फैक्टर की जांच जरूर करवानी चाहिए।

बच्चे का ब्लड ग्रुप कैसे तय होता है?
बच्चे का ब्लड ग्रुप पूरी तरह माता-पिता के जेनेटिक कॉम्बिनेशन (Genetic Combination) पर निर्भर करता है।
अगर माता पिता दोनों का ब्लड ग्रुप O हो तो बच्चे का भी O होने की संभावना होती है।
अगर माता पिता दोनों का ब्लड ग्रुप A हो तो बच्चे का A या O होने की संभावना होती है।
अगर माता पिता दोनों का ब्लड ग्रुप B हो तो बच्चे का B या O होने की संभावना होती है।
अगर पिता का A और मां का B हो तो बच्चे का A, B, AB या O होने की संभावना होती है।
अगर पिता का B और मां का O हो तो बच्चे का B या O होने की संभावना होती है।
अगर पिता का A और मां का O हो तो बच्चे का A या O होने की संभावना होती है।
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इसलिए ब्लड ग्रुप का मेल बच्चे की सेहत पर सीधा असर नहीं डालता, बल्कि Rh फैक्टर की संगति ज़्यादा मायने रखती है। पति-पत्नी का ब्लड ग्रुप एक जैसा होना पूरी तरह सामान्य और सुरक्षित है। गर्भावस्था में जटिलताएं तभी होती हैं जब Rh फैक्टर अलग-अलग हो। ऐसे में डॉक्टर की सलाह पर RhIg इंजेक्शन लेकर मां और बच्चे दोनों की सेहत को सुरक्षित रखा जा सकता है।

