इन कारणों से टपकती है शिशु के मुंह से लार, जानिए शुरुआत लक्षण और इलाज

punjabkesari.in Sunday, Dec 25, 2022 - 01:14 PM (IST)

शिशु के मुंह से कई बार लार टपकती है जिसके चलते कई बार माता-पिता चिंतित भी हो जाते हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार, 6 से 9 महीने के बच्चे के मुंह से लार टपकना एक आम बात है परंतु यदि इस उम्र से ज्यादा बच्चों के मुंह से लार टपकती है तो यह चिंता का कारण भी हो सकता है। शिशु के मुंह से लार टपकने का अर्थ है कि बच्चों के विकास हो रहा है। बच्चे के मुंह से गिरने वाली लार को ड्रलिंग कहा जाता है। मुंह में स्थित ग्रंथियां लार बनाती है लेकिन जब बच्चा संभाल नहीं पाता तो वह मुंह से बार गिरने लगती है। ऐसा माना जाता है कि यदि प्रेग्नेंसी में क्रेविंग को पूरा न किया जाए तो बच्चे के मुंह से लार टपकती रहती है। लेकिन बच्चे के मुंह से लार टपकने का कारण क्या है आज इसके बारे में बताएंगे...

इन कारणों से निकलती है लार 

शिशु को करीबन 6-8 महीने तक दांत नहीं होते लेकिन यह प्रक्रिया 3 महीने की उम्र में ही शुरु हो जाती है। इसलिए 3 महीने के बाद शिशु की लार निकलना शुरु हो जाती है। दांत आने पर शिशु के मुंह से ज्यादा लार निकलती है। इसके अलावा यदि शिशु को लंबे समय तक मुंह खुला रखने की आदत है तो भी उसके मुंह से लार टपक सकती है। यदि शिशु किसी चीज पर ध्यान लगा रहा है तो उसका दिमाग उत्तेजित होता है जिससे सलाइवा बनता है और शिशु सलाइवा को निगलना नहीं जानते जिसे कारण उनकी लार टपकने लगती है। 

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ज्यादा लार टपकाना 

एक्सपर्ट्स के अनुसार, लार टपकने की नॉर्मल उम्र के बाद शिशु के मुंह से ज्यादा सलाइवा बनने पर शिशु की ज्यादा लार टपकती है। परंतु यदि दो साल की उम्र के बाद बच्चे की मुंह से लार निकलता है तो आप डॉक्टर को जरुर दिखाएं। अधिक सलाइवा बनने के बाद साथ-साथ मुंह और जीभ के खराब तालमेल के कारण भी लार टपकती है। 

कैसे करें इलाज ?

शिशु का जब शारीरिक विकास होता है जो लार टपकती है लेकिन यदि दो साल की उम्र के बाद भी बच्चे को लार निकल रही है तो यह सामान्य नहीं है। ऐसी परिस्थिति में आप डॉक्टर को जरुर दिखाएं। बच्चे में कुछ लक्षण दिखने के बाद ही डॉक्टर इलाज बताते हैं। बच्चों में लार टपकने के कुछ लक्षण भी हो सकते हैं जैसे अगर बच्चा होंठो को बंद कर सकता है और जीभ को घुमा सकता है। बच्चे की निगलने की क्षमता ठीक हो। नाक बंद या भरी होने पर। बच्चे का नैचुरल रिफ्लेक्ट होना। बच्चे के पोश्चर और जबड़ा ठीक न होने पर। 

किस तरह करें समस्या का इलाज

बच्चों को डाइट में एसिडिक चीजों को कम करें। 

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बच्चे की निगलने की क्षमता पर काम करना । 
चेहरे की मांसपेशियों की टाइट करना। 
बच्चे की ओरल सेंसरी में सुधार लेकर आना ताकि वह समझ सकें कि मुंह और चेहरा कब गीला हो रहा है। 

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जबड़े, गालों और होंठों को ओरल मोटर थेरेपी के जरिए मजूत करना। इस थेरेपी के जरिए बच्चा सलाइवा को अच्छी तरह से निगल पाता है। 
 


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palak

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