किस खतरे से निपटने की तैयारी कर रहा RBI? 7 महीने में वापस मंगाया इतने टन सोना...
punjabkesari.in Thursday, Oct 30, 2025 - 01:33 PM (IST)
नारी डेस्क : भारत का केंद्रीय बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) लगातार अपने सोने को “घर” बुला रहा है। मार्च 2025 से सितंबर 2025 के बीच आरबीआई ने 64 टन से ज्यादा सोना भारत वापस मंगाया है। इससे देश का कुल गोल्ड रिजर्व 880 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है, जो 1990 के दशक के बाद अब तक का सबसे बड़ा गोल्ड ट्रांसफर ऑपरेशन माना जा रहा है।
भारत में सुरक्षित रखा गया सोना
आरबीआई ने यह सोना मुंबई और नागपुर के स्पेशल वॉल्ट्स में रखा है। सितंबर 2025 तक जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास अब कुल 880 मीट्रिक टन सोना है। इनमें से 575.8 टन सोना भारत में, जबकि बाकी हिस्सा बैंक ऑफ इंग्लैंड (Bank of England) और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) में सुरक्षित है। मार्च 2023 से अब तक कुल 274 टन सोना भारत वापस लाया जा चुका है। इससे देश के फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व में गोल्ड की हिस्सेदारी 11.7% से बढ़कर 13.9% हो गई है।
कैसे लाया जाता है सोना?
RBI का यह पूरा मिशन काफी गोपनीय होता है। फैसले केंद्रीय बोर्ड और वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर लिए जाते हैं।सोना इंग्लैंड से विशेष विमानों के ज़रिए लाया जाता है और भारतीय सुरक्षा एजेंसियां पूरे रास्ते इसकी सुरक्षा निगरानी करती हैं। मुंबई और नागपुर में मौजूद RBI के स्पेशल गोल्ड वॉल्ट्स में हर ट्रांसफर के बाद सोने को तौला, जांचा और सील किया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया कई हफ्तों तक चलती है और इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती।
आखिर क्यों मंगाया जा रहा है सोना?
इस कदम के पीछे कई रणनीतिक और आर्थिक कारण हैं।
जियोपॉलिटिकल तनाव: रूस-यूक्रेन युद्ध, डॉलर सिस्टम की अस्थिरता और पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों के चलते कई देश अब अपना सोना “घर पर” रखना ज्यादा सुरक्षित मान रहे हैं।
वित्तीय स्वायत्तता (Financial Sovereignty): 1991 के आर्थिक संकट के समय भारत को लोन के बदले अपना सोना विदेश भेजना पड़ा था। RBI अब ऐसी स्थिति दोबारा नहीं आने देना चाहता।
डॉलर पर निर्भरता कम करना: अंतरराष्ट्रीय लेन-देन में डॉलर की जगह गोल्ड रिजर्व को मजबूत कर भारत अपनी मुद्रा स्थिर रखना चाहता है।
आगे का संकेत: आर्थिक सुरक्षा की नई दीवार
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह कदम भारत को वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं से बचाने की दिशा में एक रणनीतिक सुरक्षा कवच (Economic Shield) साबित होगा। अब भारत का गोल्ड रिजर्व केवल निवेश नहीं, बल्कि देश की आर्थिक विश्वसनीयता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है।

