रात में क्यों नहीं होता अंतिम संस्कार? गरुड़ पुराण में छिपा है रहस्य!
punjabkesari.in Friday, Sep 05, 2025 - 06:35 PM (IST)

नारी डेस्क : हिंदू धर्म में मृत्यु और अंतिम संस्कार को विशेष महत्व दिया गया है। मृत्यु के बाद शव का संस्कार केवल एक सामाजिक क्रिया नहीं है, बल्कि इसे धर्म और कर्म के सिद्धांतों से जोड़ा गया है। गरुड़ पुराण में भी इसके बारे में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। रात में नही दीन में किया जाता हैं संस्कार। आइए जानते हैं क्यों रात में अंतिम संस्कार नहीं किया जाता और इसका क्या रहस्य है।
अंतिम संस्कार के समय की धार्मिक मान्यता
हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक कुल 16 संस्कारों का विधान है। मृत्यु के बाद शव का अंतिम संस्कार विधि-विधान से किया जाता है और इसका विशेष महत्व गरुड़ पुराण में बताया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार, सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार नहीं किया जाता, क्योंकि इससे मृतात्मा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। धार्मिक मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद स्वर्ग के दरवाजे बंद हो जाते हैं और नरक के द्वार खुल जाते हैं। यदि अंतिम संस्कार रात में किया जाए, तो मृतात्मा को नरक में जाने का भय हो सकता है। इसलिए अंतिम संस्कार का समय दिन में ही तय किया गया है, ताकि मृतात्मा को शांति और सुरक्षित यात्रा मिल सके।
रात में अंतिम संस्कार क्यों हानिकारक माना जाता है
हिंदू मान्यता के अनुसार, मृत व्यक्ति की आत्मा अंतिम संस्कार तक शव के आसपास भटकती रहती है। यदि अंतिम संस्कार रात में किया जाए, तो ऐसा माना जाता है कि मृतात्मा के अगले जन्म में किसी अंग या जीवन में दोष या बाधा आ सकती है। इसलिए, अंतिम संस्कार का सही समय सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक ही माना जाता है, ताकि मृतात्मा को शांति और सुरक्षित मार्ग मिल सके।
मुखाग्नि देने का नियम
गरुड़ पुराण में मुखाग्नि (शव को आग देने की क्रिया) से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं। किसी स्त्री को मुखाग्नि देने का अधिकार नहीं होता। मुखाग्नि हमेशा पति, पुत्र, भतीजा या पिता को देना चाहिए। इसका कारण यह है कि हिंदू धर्म में वंशवृद्धि का जिम्मा पुत्र पर होता है और स्त्री को पराया धन माना जाता है। इसलिए मृतात्मा को अंतिम संस्कार देने का अधिकार स्त्री को नहीं दिया गया।
हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार का सही समय और नियम मृतात्मा की शांति और परिवार की धार्मिक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है। दिन में ही अंतिम संस्कार करना शुभ होता है। सूर्यास्त के बाद करने से बचें, ताकि मृतात्मा को शांति और सुरक्षित मार्ग मिले। मुखाग्नि का अधिकार पुरुषों को ही होता है, जो वंश और धर्म की परंपरा से जुड़ा है।