पृथ्वी लोक में यहां पर होता है आत्मा का हिसाब-किताब, यमराज की लगती है कचहरी!
punjabkesari.in Thursday, Oct 23, 2025 - 06:26 PM (IST)
नारी डेस्क: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को यम द्वितीया या भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना देवी से जुड़ा है। यमराज जिन्हें मृत्यु का देवता कहा जाता है, का एक रहस्यमय मंदिर पृथ्वी लोक पर भी स्थित है, जिसे यमराज की कचहरी कहा जाता है।
अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब
माना जाता है कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा सबसे पहले यहीं आती है। यहां भगवान चित्रगुप्त जीवन भर के अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा-जोखा करते हैं। बता दें की मंदिर में एक खाली कमरा है, जिसे चित्रगुप्त का कक्ष माना जाता है। इस कमरे में आत्मा को लाकर चित्रगुप्त अपनी बही ‘अग्रसंधानी’ से उसके जीवन के कर्म पढ़ते हैं। इसके बाद आत्मा को यमराज की अदालत में ले जाया जाता है, जहां तय होता है कि उसे स्वर्ग भेजा जाएगा या नरक।

मंदिर की रहस्यमयी विशेषताएं
भरमौर में स्थित यह प्राचीन मंदिर बेहद साधारण दिखाई देता है, लेकिन इसका वातावरण गंभीर और रहस्यमय है।
मंदिर में चार द्वार हैं, जो तांबे, लोहे, सोने और चांदी के बने माने जाते हैं।
मान्यता है कि आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार इन द्वारों में से किसी एक से स्वर्ग या नरक की ओर भेजा जाता है।
स्थानीय लोग मंदिर के अंदर जाने से कतराते हैं और अधिकतर लोग केवल बाहर से प्रणाम करते हैं।

भाई दूज और यम द्वितीया का महत्व
भाई यमराज और बहन यमुना देवी के इस पर्व से पता चलता है कि भाई-बहन का रिश्ता न केवल पवित्र है, बल्कि जीवन और कर्मों के लेखे-जोखे से भी जुड़ा है। यह पर्व यह याद दिलाता है कि आत्मा के कर्मों का हिसाब हर समय चलता रहता है, और मृत्यु के बाद उसका निर्णय यमराज की कचहरी में होता है।

