प्रेमानंद महाराज ने बताया, बच्चों में ये है 1 सबसे बड़ी कमी है, पढ़े-लिखे होने के बावजूद नहीं है संस्कार
punjabkesari.in Thursday, Sep 04, 2025 - 04:18 PM (IST)

नारी डेस्क: संत प्रेमानंद महाराज अक्सर अपने सत्संगों में पैरेंटिंग से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करते हैं। वे माता-पिता को यह बताते रहते हैं कि बच्चों को अच्छी आदतें कैसे सिखाई जाएं, उनकी पढ़ाई में कैसे रुचि बढ़ाई जाए और उन्हें अच्छे संस्कार कैसे दिए जाएं। हाल ही में उन्होंने आज के बच्चों में होने वाली एक बड़ी कमी के बारे में बात की।
आज के बच्चों में सबसे बड़ी कमी नम्रता
संत प्रेमानंद महाराज कहते हैं, "आज की पढ़ाई में आधुनिकता तो है, लेकिन आध्यात्मिकता का अभाव है। आध्यात्मिक शिक्षा न होने के कारण बच्चों में विनय की कमी होती जा रही है। पढ़े-लिखे बच्चे भी नम्रता से दूर होते जा रहे हैं।"
वे आगे कहते हैं, "अब तो स्थिति यह हो गई है कि जितना कोई ग्रेजुएट होता है, उतना ही उसमें अहंकार दिखाई देता है। जबकि होना यह चाहिए कि जितना अधिक कोई पढ़ा-लिखा हो, उतना ही वह सरल और विनम्र बने।"
पढ़े-लिखे व्यक्ति की असली पहचान
संत प्रेमानंद महाराज समझाते हैं, "पढ़े-लिखे व्यक्ति की पहचान यही होनी चाहिए कि वह सभ्य और सरल हो। जैसे- मान लीजिए, आप कहीं गाड़ी या बस में सफर कर रहे हैं और वहां कोई बड़ा-बूढ़ा खड़ा है, तो आप उसे कहें- 'आप बैठ जाइए दादा जी, हम खड़े हो जाएंगे।' तभी तो लगेगा कि यह वास्तव में पढ़ा-लिखा और सभ्य इंसान है।"
वे कहते हैं, "पढ़े-लिखे व्यक्ति का संबंध सभ्यता और विनय से होना चाहिए। लेकिन आज के समय में सभ्यता और विनय दोनों ही धीरे-धीरे गायब होते जा रहे हैं। आज पढ़े-लिखे लोग तो बहुत हैं, मगर उनमें यह गुण नहीं दिखते। सभ्यता और विनय की इस कमी को केवल आध्यात्मिक शिक्षा ही दूर कर सकती है।"
बच्चों में संस्कार कैसे डालें?
संत प्रेमानंद महाराज बच्चों में संस्कार डालने के लिए कुछ आसान उपाय बताते हैं
1. रोज 10 मिनट राधा-राधा बुलवाएं
वे कहते हैं, "बच्चों को रोज कम से कम 10 मिनट बैठाकर 'राधा-राधा' बुलवाना चाहिए।" एक व्यक्ति ने कहा कि बच्चे तो एक दिन करते हैं और फिर भूल जाते हैं। इस पर संत ने कहा कि इसे लगातार बनाए रखना जरूरी है।
2. माता-पिता बच्चों के लिए नाम जप कर सकते हैं
एक महिला ने पूछा, "बच्चे तो नादान होते हैं, उन्हें कुछ समझ नहीं होती। ऐसे में क्या उनके कल्याण के लिए हम नाम-जप करें, तो उससे उन्हें फायदा होगा?" इस पर संत ने कहा, "हां, बिल्कुल परिवर्तन होगा।"
3. प्यार-दुलार से करवाएं नामजप
संत ने बताया, "बच्चों को फिर प्यार से फुसलाना चाहिए। अगर वे एक दिन भी नाम जप कर लेते हैं, तो इसका मतलब है कि वे हमारी बात मानने लगे। वहीं, बच्चों को खेल-खेल में भजन कराया जा सकता है।"
4. बच्चों को दिलाते रहें याद
संत ने सुझाव दिया, "बच्चों से कहें- 'तुम्हारे लिए बाल भोग बनाया जा रहा है, तब तक तुम राधा-राधा जपो। अगर नहीं जपोगे तो भोग नहीं मिलेगा।' अगर वे कुछ देर बाद खेलने में व्यस्त हो जाएं, तो उन्हें फिर याद दिलाएं कि नाम-जप करना है। कुल मिलाकर यह सब केवल प्यार और दुलार से ही कराना चाहिए।"
संत प्रेमानंद महाराज का कहना है कि आज के बच्चों में ज्ञान तो है, लेकिन नम्रता और संस्कारों की कमी है। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को आध्यात्मिक शिक्षा दें ताकि वे न केवल पढ़े-लिखे बल्कि अच्छे इंसान भी बनें।