अजन्मे बच्चे की रक्षा करता है भगवान कृष्ण का ये मंत्र, गर्भवती महिला जरूर करे इसका जप
punjabkesari.in Monday, Aug 11, 2025 - 02:02 PM (IST)

नारी डेस्क: अगर आपके जीवन में जल्द ही खुशियां आने वाली हैं यानी कि आप मां बनने जा रही हैं तो आज से ही"देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः।।" का जप शुरू कर दें। यह जाप मां और शिशु के बीच भावनात्मक जुड़ाव को मजबूत करने के साथ-साथ गर्भ संस्कार को भी बढ़ावा देता है।

भगवान स्वयं करते हैं शिशु की रक्षा
गर्भ संस्कार के सिद्धांतों के अनुसार, यह मंत्र मन को शांत रखने, सकारात्मक भावनाओं को बढ़ाने और शिशु के मानसिक विकास में सहायक माना जाता है। यह जप उन दंपत्तियों के लिए अत्यंत फलदायक माना गया है जो संतान सुख की इच्छा रखते हैं, या जिनकी संतान बार-बार नष्ट हो जाती है अथवा संतान संबंधी बाधाएं आ रही हों। यह मंत्र पुत्र प्राप्ति, गर्भ संरक्षण और संतान की रक्षा के लिए भी अत्यंत प्रभावशाली है। मान्यता है कि इस मंत्र का उच्चारण श्रद्धा और विश्वास से करने पर भगवान स्वयं गर्भस्थ शिशु की रक्षा करते हैं।
मंत्र का अर्थ
देवकी सुत गोविंद-देवकी के पुत्र, गोविंद
वासुदेव जगत्पते -वासुदेव, जगत के स्वामी
देहि मे तनयं कृष्ण-मुझे एक पुत्र दें, हे कृष्ण
त्वामहं शरणं गतः - मैं आपकी शरण में आया/आई हूं

मंत्र जाप के लाभ (मान्यता अनुसार)
वास्तु शास्त्र के अनुसार इस मंत्र का जप करने से गर्भ में पल रहे शिशु को सुरक्षा मिलती है। शिशु के स्वास्थ्य और बल में वृद्धि होती है, संतान में सद्गुण, बुद्धि और धर्मनिष्ठा का विकास होता है। गर्भावस्था के दौरान मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
जाप विधि
प्रातः और संध्या समय, साफ और शांत स्थान में बैठकर 108 बार माला के साथ या कम से कम 11 बार जाप करें। मन को स्थिर रखकर, भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप का ध्यान करें। जाप के बाद भगवान को तुलसी पत्र अर्पित करें