Pregnancy Last Trimester: कौन से महीने में कितना बढ़ना चाहिए बेबी का वजन?
punjabkesari.in Monday, Mar 17, 2025 - 08:01 PM (IST)

नारी डेस्कः प्रेग्नेंसी का अनुभव हर महिला के लिए अलग अनुभव हो सकता है। इस नौ माह के समय में कई तरह के बदलाव देखने को मिल सकते हैं। वैसे तो हर महीना ही खास होता है लेकिन आखिरी तीन महीनों को सबसे ज्यादा खास माना जाता है। 6 महीने के बाद महिला की डाइट बढ़नी शुरू हो जाती है। प्रैग्नेंसी का 7वां महीना भी बहुत अहम होता है। इस महीने अक्सर महिलाएं कंफ्यूज हो जाती हैं कि वह क्या खाएं-क्या नहीं और उनका वेट कितना होना चाहिए। चलिए आपको 7वें महीने में होने वाले कुछ बदलाव और फैक्ट्स बताते हैं।
सातवें महीने के साथ प्रेगनेंसी की आखिरी तिमाही की शुरुआत हो जाती है। इस समय आपके बच्चे का दिन दोगुना- रात चौगुना विकास हो रहा होता है। जैसे-जैसे बच्चे का विकास होगा और वैसे ही वह पेट में ज्यादा जगह घेरेगा। इस दौरान गर्भवती असहज भी महसूस कर सकती है क्योंकि जब बच्चा विकास कर रहा होता है तो पेट में जगह कम होने लगती है। गर्भवती को खाना हजम नहीं होता, सीने में जलन, पेट फूलना, कब्ज , वेजाइनल डिस्चार्ज, और कमर में दर्द जैसी दिक्कतें आनी शुरू हो जाती है लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं रहती लेकिन हां अगर समस्या ज्यादा हो तो डॉक्टरी सलाह जरूर लेनी चाहिए
इस समय गर्भवती और बेबी का वजन कितना होना चाहिए?
वैसे प्रैगनेंसी में महिला का वजन 11.5 से 16 किलोग्राम के बीच बढ़ना चाहिए। पहली तिमाही के दौरान 1 से 2 किलोग्राम वजन बढ़ता है और आगे फिर हर हफ्ते आधा किलोग्राम वजन बढ़ता है हालांकि बाकी वजन बढ़ने की मात्रा आपकी स्थिति पर ही निर्भर करती है। सातवें महीने में बेबी का वजन 900 ग्राम से लेकर 1350 ग्राम तक हो सकता है लेकिन हर बच्चे का विकास अलग-अलग होता है।
शिशु कितनी हिलजुल करता है?
7वें माह तक शिशु का लगभग 70% विकास हो चुका होता है। वह लगभग 12 से 15 इंच का हो जाता है और शिशु की हिलजुल बढ़ जाती है। कहा जाता है कि इस दौरान बच्चा पेट में लात मार सकता है, अंगड़ाई और जंम्हाई ले सकता है। आंखें खोल और बंद कर सकता है। बाहर की आवाज सुनकर रिस्पोंस दे सकता है। अगर ऐसा नहीं होता तो आपको इस तरफ ध्यान देना होगा। कभी-कभी बच्चा सो रहा होता है। हलचल कम होने पर आप कोई मीठी चीज खा लें तो बच्चे को तुरंत ऊर्जा मिलती है और वह मूवमेंट करने लगेगा। वह किसी दिन कम या बिल्कुल भी मूवमेंट नहीं कर रहा है तो अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
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इस महीने गर्भवती को क्या महसूस हो सकता है?
अधिकतर महिलाओं को ज्यादा नींद आती है और कुछ को रात को नींद नहीं आती और कमजोरी व थकान महसूस होती है।
इस महीने बच्चे और मां दोनों का वेट बढ़ जाता है इसलिए सांस लेने में दिक्कत हो सकती है या थोड़ा काम करने पर भी सांस फूलने लगती है।
स्तनों को छूने पर दर्द और संवेदनशीलता महसूस कर सकती हैं। स्तनों का साइज बड़ा हो जाता है और निप्पल का रंग पहले से गाढ़ा (डॉर्क ब्राउन या काला) हो जाते हैं। स्तनों में दूध भर जाता है और कुछ को पीले रंग का रिसाव भी होने लगता है और ज्यादा गर्मी महसूस होती है।
शिशु और गर्भ का आकार बढ़ने के कारण यूरिनरी ब्लैडर पर दबाव पड़ता है जिससे बार-बार यूरीन आता है। शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन आ सकती है जैसे हाथ पैर पर...कुछ महिलाओं के चेहरे पर भी सूजन आ जाती है।
मूड अचानक से बदल जाता है। चिड़चिड़ापन आना, हंसना-रोना, जिद्द सब आम हो जाते हैं लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये सब हार्मोंनस असतुंलन की वजह से होता है।
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पेट में बच्चा उल्टा हो तो कैसे सोना चाहिए?
प्रेग्नेंसी में बाई तरफ करवट लेकर सोने की कोशिश करनी चाहिए। विशेषज्ञ का मानना है कि प्रेग्नेंसी में बाई तरफ सोना सबसे बेहतर होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान बाईं करवट सोना सबसे अच्छा माना जाता है। इससे पेट में रक्त संचार बेहतर होता है और बच्चे को सही मात्रा में ऑक्सीजन व पोषण मिलता है। अगर आप इस पोजीशन में थक जाती हैं, तो थोड़ी देर के लिए दाईं ओर भी सो सकती हैं लेकिन पीठ के बल सोने से बचें, खासकर गर्भावस्था के आखिरी महीनों में।
7 से 9वें महीने में क्या खाना चाहिए?
गर्भावस्था के 7वें से 9वें महीने तक शरीर को अधिक पोषण की जरूरत होती है। इस दौरान आपको ये चीजें जरूर खानी चाहिए:
कैल्शियम और विटामिन ई – दूध, दही, पनीर, बादाम, अखरोट
आयरन – हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, अनार, गुड़
ओमेगा-3 फैटी एसिड – अंडा, मछली, अलसी, अखरोट
प्रोटीन और फाइबर – दालें, फलियां, साबुत अनाज, फल
मैग्नीशियम और विटामिन डी – सूरज की रोशनी, केला, सूखे मेवे
अगर किसी चीज से एलर्जी हो तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें और डाइट से जुड़ी ज्यादा जानकारी भी।
जन्म लेने की पोजिशन
गर्भावस्था के आखिरी महीनों में बच्चा जन्म की तैयारी में अपनी पोजिशन बदलता है। आमतौर पर, उसका सिर नीचे और पैर ऊपर की ओर हो जाता है। अगर ऐसा नहीं हुआ है तो चिंता की जरूरत नहीं है, क्योंकि बच्चे की पोजिशन बदलने में अभी समय हो सकता है। डॉक्टर से नियमित जांच कराएं, वे आपकी स्थिति के अनुसार सही सलाह देंगे। डॉक्टर आपको आपके रिपोर्ट के मुताबिक सुझाव दे देगा।
नोटः ये सारी जानकारी विशेषज्ञ व इंटरनेट के माध्यम से साझा की गई है लेकिन स्थिति के हिसाब से सटीक जानकारी आपको वही डाक्टर दे सकता है जो शुरू से आपकी प्रेगनेंसी चेकअप कर रहा है। आखिरी तिमाही में खाने पीने का खास ध्यान रखना जरूरी है ताकि बच्चे का वजन भी बढ़ सकें।