दिल्ली में युवाओं में फैल रहा ‘ट्रांस ड्रग’ खतरनाक नशा, सरकार नहीं कर रही कोई कार्रवाई
punjabkesari.in Monday, Aug 11, 2025 - 12:39 PM (IST)

नारी डेस्क: दिल्ली की गलियों और यहां तक कि सरकारी जन औषधि केंद्रों में एक खतरनाक लेकिन छुपा हुआ नशा तेजी से फैल रहा है। यह नशा हेरोइन या कोकीन जैसे ड्रग्स का नहीं, बल्कि एक दवा ‘प्रेगाबालिन’ (Pregabalin) का है, जिसे लोग ‘ट्रांस ड्रग’ के नाम से जानते हैं। यह दवा असल में एंग्जायटी (चिंता), मिर्गी और नसों के दर्द जैसी बीमारियों के इलाज के लिए दी जाती है। लेकिन आजकल कई युवा इसका गलत इस्तेमाल कर नशा कर रहे हैं, जो काफी चिंता का विषय है।
बिना डॉक्टर की पर्ची के आसानी से मिल रही दवा
HT की जांच में पता चला है कि दिल्ली के कई जन औषधि केंद्रों और प्राइवेट फार्मेसियों पर प्रेगाबालिन बिना किसी डॉक्टर की पर्ची या पहचान पत्र के आसानी से बिक रही है। दिल्ली के मुनीरका, सीआर पार्क, आलकनंदा, गोविंदपुरी और जाकिर बाग के जन औषधि केंद्रों से HT ने 75mg, 150mg और 300mg की गोलियां बिना किसी पूछताछ के खरीद लीं। यहां 10 गोलियों की एक स्ट्रिप केवल ₹30 में मिल रही है, जो प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) का हिस्सा है।सरकार की यह दवा योजना गरीबों के लिए बनी है, लेकिन इसका दुरुपयोग नशा फैलाने के लिए हो रहा है।
युवाओं में बढ़ती लत, धीरे-धीरे पकड़ में आता असर
एक 28 साल के युवक ने बताया, “शुरू में मैंने हफ्ते में एक बार नशे के लिए ली, फिर रोज लेने लगा। कोई भी मुझसे पर्चा नहीं मांगता।” एक 23 साल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने कहा, “किसी ने बताया कि ये शराब जैसा असर देती है लेकिन हैंगओवर नहीं होता। मैंने शुरू में तीन गोलियां लीं, फिर धीरे-धीरे दिन में दर्जनों गोलियां लेने लगा।” अब वह इलाज करवा चुका है, लेकिन कहता है कि दवा की आसानी से मिलने ने उसकी लत बढ़ाई। 25 साल के एक अन्य युवक ने बताया, “पहले ये दवा आत्मविश्वास देती है, लेकिन बाद में आपकी जिंदगी से सब कुछ छीन लेती है। जब तक आप समझ पाते हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।”
फार्मेसियों पर कोई कड़ी निगरानी नहीं
प्रेगाबालिन शेड्यूल H दवा है, मतलब इसे डॉक्टर की पर्ची पर ही बेचना चाहिए। लेकिन यह शेड्यूल H1 में नहीं आती, इसलिए इस पर सख्त निगरानी या रिकॉर्ड रखना जरूरी नहीं है। पंजाब में जहां इसे ‘घोड़ा’ कहा जाता है, वहां कुछ जगहों पर बिना मंजूरी के 150mg और 300mg डोज की बिक्री पर रोक है, लेकिन दिल्ली में कोई रोक नहीं है। कुछ फार्मेसिस्ट ने माना कि वे भरोसेमंद ग्राहकों को बिना पर्ची दवा बेच देते हैं। एक फार्मासिस्ट ने कहा, “अगर ग्राहक शांत रहता है तो हम दवा बेच देते हैं। यह आम बात हो गई है।” दिल्ली के नशा मुक्ति केंद्रों में 16 से 35 साल के युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जो प्रेगाबालिन की लत छुड़ाने के लिए भर्ती हो रहे हैं।
कानूनी कमियां और सरकारी सुस्ती
प्रेगाबालिन NDPS एक्ट के तहत नहीं आती, इसलिए इसके सेवन या बिक्री पर कड़ी सजा नहीं है। 2023 में पंजाब सरकार ने केंद्र को इस दवा को शेड्यूल H1 में शामिल करने की सिफारिश की थी, ताकि इस पर कड़ी निगरानी हो सके। लेकिन अब तक केंद्र सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
दिल्ली में ‘ट्रांस ड्रग’ के रूप में प्रेगाबालिन का नशा तेजी से बढ़ रहा है। इसका आसान उपलब्ध होना और कड़ी कानूनी निगरानी का अभाव इसे युवाओं के लिए खतरा बना रहा है। इसके गलत इस्तेमाल से बचने और इसे नियंत्रित करने के लिए सरकारी स्तर पर तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।