Falgun Amavasya 2025: फाल्गुन अमावस्या पर पितरों को कैसे करें प्रसन्न
punjabkesari.in Thursday, Feb 27, 2025 - 03:39 PM (IST)
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नारी डेस्क: अमावस्या तिथि हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। विशेष रूप से फाल्गुन अमावस्या का दिन पितरों की कृपा प्राप्त करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने और पितरों को अर्घ्य देने की परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। पितरों के नाम से पिंडदान और तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। फाल्गुन अमावस्या के दिन पूजा की खास विधि होती है। इस दिन आपको कुछ विशेष कार्य करने चाहिए, ताकि पितरों की कृपा प्राप्त हो और पितृ दोष से मुक्ति मिले।
स्नान और पूजा का महत्व
फाल्गुन अमावस्या के दिन सुबह जल्दी स्नान करना चाहिए। अगर नदी में स्नान करना संभव न हो, तो घर के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करें और उसकी सात बार परिक्रमा करें। साथ ही, पीपल के नीचे सरसों के तेल में काले तिल डालकर दीपक जलाएं।
दिशा का खास ध्यान रखें
अमावस्या तिथि पर घर के बाहर दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाएं, क्योंकि यह दिशा पितरों की मानी जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से उनका आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
पितृ चालीसा का पाठ
फाल्गुन माह की अमावस्या पर पितृ चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अपनी क्षमता अनुसार दान-दक्षिणा दें। साथ ही, गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, धन व वस्त्र दान करें। ऐसा करने से पितरों की कृपा मिलती है।
पितृ दोष से मुक्ति के उपाय
फाल्गुन अमावस्या पर पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितरों के निमित्त पिंडदान और श्राद्ध कर्म अवश्य करें। इससे पितरों को मोक्ष मिलता है। साथ ही, अमावस्या के दिन शिवलिंग पर तिल अर्पित करने से पितृ शांत होते हैं।
1. पिंडदान और श्राद्ध कर्म करें: फाल्गुन अमावस्या के दिन पितरों के लिए पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने से उनका आशीर्वाद मिलता है। यह एक प्रभावी तरीका है, जिससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितृ को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2. कालसर्प दोष से मुक्ति के उपाय: ज्योतिषाचार्य के अनुसार, अमावस्या के दिन कालसर्प दोष से राहत पाने के लिए चांदी के सर्प (सांप) बनवाकर किसी शिव मंदिर में अर्पित करें या फिर उन्हें बहते पानी में प्रवाहित करें। यह उपाय शुभ फल देता है और दोष से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
फाल्गुन अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 27 फरवरी, सुबह 8:08 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त: 28 फरवरी, सुबह 6:14 बजे
ब्रह्म मुहूर्त: 27 फरवरी, सुबह 5:09 से 5:58 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: 27 फरवरी, दोपहर 12:11 से 12:57 बजे तक
पितृ दोष क्या होता है?
पितृ दोष तब उत्पन्न होता है जब पूर्वजों की आत्माएं असंतुष्ट रहती हैं। असंतुष्ट पितर अपने वंशजों के जीवन में बाधाएं उत्पन्न करते हैं, जिसे पितृ दोष कहा जाता है। यह दोष केवल व्यक्ति के अपने कर्मों से नहीं, बल्कि माता-पिता या पूर्वजों के कर्मों से भी लगता है। पितृ दोष जन्म कुंडली में होता है, जबकि कर्म जीवन के दौरान बनते हैं। यह एक ऐसा दोष है, जिसका कारण स्पष्ट रूप से समझ पाना कठिन होता है। यहां तक कि यदि जन्मपत्री में शुभ योग भी हो, तो भी व्यक्ति को अपेक्षित शुभ फल नहीं मिलते।
पितृ दोष क्यों लगता है?
अकाल मृत्यु: अगर किसी व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो जाती है और उसका अंतिम संस्कार विधिपूर्वक नहीं किया जाता, तो पितृ दोष लग सकता है।
पूर्वजों का अनादर: माता-पिता या पूर्वजों का अनादर करने, उनके निधन के बाद पिंडदान, तर्पण, और श्राद्ध न करने से भी पितृ दोष का कारण बनता है।
अशांत पितर: अगर पूर्वज किसी कारणवश अशांत या असंतुष्ट होते हैं, तो उनका आशीर्वाद नहीं मिलता और पितृ दोष उत्पन्न होता है।
पितृ दोष के प्रभाव
घर के सदस्यों के मान-सम्मान में कमी आती है।
आर्थिक हानि होती है।
संतान प्राप्ति में विघ्न आता है।
सुख-शांति में कमी आती है।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।