बवासीर का जड़ से इलाज: न ऑपरेशन, न दर्द... रामदेव ने बताया देसी नुस्खा, बस खाएं ये 3 पत्ते"

punjabkesari.in Saturday, Nov 01, 2025 - 11:35 AM (IST)

नारी डेस्क:  बवासीर यानी पाइल्स एक आम लेकिन परेशान करने वाली समस्या है। इसमें गुदा या मलद्वार के अंदर और बाहर की नसों में सूजन आ जाती है, जिससे दर्द, जलन, खुजली और कभी-कभी खून आने जैसी समस्याएं होती हैं। इसे आम भाषा में अर्श भी कहा जाता है। खराब जीवनशैली, अनियमित खानपान और कब्ज जैसी परेशानियां बवासीर, फिशर और फिस्टुला जैसी बीमारियों का कारण बनती हैं। ये समस्या न केवल दर्द देती है, बल्कि रोजमर्रा के कामकाज को भी प्रभावित करती है। आयुर्वेद और घरेलू नुस्खों पर भरोसा करने वाले लोग आज भी इन रोगों से राहत पाने के लिए प्राकृतिक उपाय अपनाते हैं। योग गुरु बाबा रामदेव ने भी बवासीर के लिए कुछ सरल, प्रभावकारी और प्राकृतिक उपाय सुझाए हैं।

बवासीर के मुख्य लक्षण

बवासीर के लक्षणों की पहचान करना बेहद जरूरी है। इसके प्रमुख संकेत हैं मलत्याग के समय दर्द या जलन: जब गुदा के आसपास नसों में सूजन होती है तो मलत्याग के दौरान तेज दर्द महसूस होता है।

खून आना: शौच के समय हल्का या ज्यादा खून आना बवासीर का सामान्य लक्षण है।

गुदा में गांठ या सूजन: गुदा के पास गांठ महसूस होना सूजन बढ़ने का संकेत देता है।

बैठने में असहजता: लंबे समय तक बैठने पर असुविधा और दर्द होना।

गुदा में खुजली, जलन या गीलापन: यह लक्षण नसों की सूजन और दबाव के कारण दिखाई देते हैं।

बवासीर से राहत दिलवाएगा ये घरेलू नुस्खा, जड़ से खत्म होगा रोग !

इन लक्षणों को नजरअंदाज करने पर समस्या गंभीर हो सकती है, इसलिए समय रहते इलाज शुरू करना जरूरी है।

नागदोन का पौधा: बवासीर का रामबाण उपाय

नागदोन का पौधा पूरे भारत में आसानी से मिल जाता है। इसे विषमार, नागदमन या नागदमनी के नाम से भी जाना जाता है। पत्ते, डंडी और जड़: बवासीर, कब्ज, मासिक धर्म के दर्द और सूजन जैसी समस्याओं में असरदार माने जाते हैं। इस्तेमाल का तरीका: बाबा रामदेव के अनुसार, रोजाना सुबह और शाम तीन-तीन नागदोन के पत्ते खाने से बवासीर में आराम मिलता है। यह पारंपरिक घरेलू नुस्खा कई लोगों के लिए प्रभावी साबित हुआ है।

ठंडे दूध और नींबू का मिश्रण

एक और सरल और असरदार उपाय है ठंडे दूध में नींबू का रस मिलाकर पीना। एक कप ठंडे दूध में थोड़ा नींबू निचोड़कर रोज पीने से बवासीर की जलन और सूजन में राहत मिल सकती है। यह मिश्रण पाचन को दुरुस्त रखने में भी मदद करता है और कब्ज को दूर करता है।

त्रिफला का सेवन

त्रिफला आयुर्वेद में पाचन सुधारने वाला और कब्ज दूर करने वाला माना जाता है। यह चूर्ण, अभयारिष्ट या अन्य आयुर्वेदिक उत्पाद के रूप में लिया जा सकता है। बवासीर की मुख्य वजह कब्ज होती है, इसलिए त्रिफला का नियमित सेवन इसे रोकने और सूजन कम करने में सहायक है।

अर्सोग्रिट और जात्यादि तेल का उपयोग

पुराने या क्रॉनिक बवासीर में राहत पाने के लिए अर्सोग्रिट और जात्यादि तेल को एलोवेरा जेल में मिलाकर इस्तेमाल करना असरदार माना जाता है। यह मिश्रण बवासीर, फिशर और फिस्टुला जैसी समस्याओं में भी आराम दिला सकता है। नियमित इस्तेमाल से दर्द, जलन और सूजन में कमीय आती है।

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बवासीर एक आम समस्या है लेकिन समय पर सही उपाय और देखभाल से इसे बिना चीरा या टांके के आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। नागदोन के पत्ते, ठंडे दूध में नींबू, त्रिफला और आयुर्वेदिक तेल जैसे उपाय इस दिशा में बहुत मददगार हैं।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। इसे किसी भी दवा या इलाज का विकल्प न मानें। सही सलाह और उपचार के लिए हमेशा अपने डॉक्टर या आयुर्वेद विशेषज्ञ से संपर्क करें।
  

 


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Content Editor

Priya Yadav

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