बालकनी और एसी को कबतूरों ने कर दिया है गंदा? इन तरीकों से घर में उनकी एंट्री करें बंद
punjabkesari.in Thursday, Aug 07, 2025 - 05:17 PM (IST)

नारी डेस्क: "कबूतर बनाम बालकनी"* एक ऐसी कहानी है जो शहरी भारत में हर किसी के दिल की बात है। चाहे दिल्ली हो, मुंबई, बेंगलुरु या पुणे हर जगह लोग इससे जूझ रहे हैं। कबूतरों और बालकनी के बीच की जंग कोई मामूली लड़ाई नहीं, बल्कि एक "urbane crisis" बन चुकी है, खासकर फ्लैट कल्चर वाले शहरों में।

कबूतरों से होने वाली समस्याए
कबूतरों को फ्लैट्स की बालकनी, एसी की यूनिट के पीछे या खिड़कियों के कोने में अपना घर बसाना बहुत पसंद होता है। कबूतर जहां भी बैठते हैं, वहां बीट (पक्षी मल) छोड़ते हैं। ये मल न सिर्फ बदबूदार होता है, बल्कि उसमें fungus और बैक्टीरिया भी होते हैं जो इंसानों के लिए सांस संबंधी बीमारियां पैदा कर सकते हैं जैसे Hypersensitivity Pneumonitis। लगातार "गुटर गूं" की आवाज़ से मानसिक शांति भंग होती है – खासकर सुबह-सुबह या दोपहर की नींद में।
शहरी भारत में क्यों बढ़ रही है ये समस्या?
शहरों में पेड़ों और प्राकृतिक घोंसले के स्थानों की भारी कमी है, इसलिए कबूतर इंसानी बस्तियों में शिफ्ट हो गए हैं। खुले बालकनी और एसी यूनिट्स कबूतरों के लिए परफेक्ट घोंसले की जगह बनते हैं। कई लोग रोज़ाना कबूतरों को अनाज डालते हैं जिससे वे वहीं जमा हो जाते हैं।
इस समस्या से निपटने के कुछ कारगर उपाय
नेटिंग लगवाना: बालकनी और खिड़कियों में Bird Netting सबसे आसान और स्थायी उपाय है।
फॉयल या CD लटकाना: सूरज की रोशनी से चमकने वाली चीजें कबूतरों को डराती हैं।
प्लास्टिक उल्लू या बाज (Owl/Eagle Dummy): कबूतर शिकारी पक्षियों से डरते हैं, इसलिए नकली शिकारी पक्षी रखने से वे दूर रहते हैं।
तेज गंध वाले स्प्रे या कैमिकल्स: कुछ विशेष anti-bird spray बाजार में मिलते हैं जो कबूतरों को पसंद नहीं होते।
रोजाना सफाई: बालकनी को कबूतरों के मल से गंदा न होने दें। साफ-सफाई से उनका दोबारा आना मुश्किल होता है।
ये सिर्फ गंदगी की बात नहीं
कबूतरों की यह समस्या अब महज़ ‘पालतू पक्षी’ जैसी नहीं रही, बल्कि यह एक हेल्थ और हाइजीन से जुड़ी चेतावनी बन चुकी है। खासकर जिन घरों में बच्चे, बुजुर्ग या अस्थमा के मरीज हैं, उन्हें इससे विशेष सावधान रहने की ज़रूरत है। इस उड़ते हुए संकट का हल जरूर निकालिए पर बिना उनकी जान लिए।