क्या आपको भी पीरियड्स में खून के थक्के आते हैं? इसे इग्नोर न करें! जानें क्यों होते हैं
punjabkesari.in Thursday, Nov 27, 2025 - 12:57 PM (IST)
नारी डेस्क: पीरियड्स (Periods) महिलाओं के शरीर में एक नेचुरल प्रक्रिया है। सामान्य पीरियड्स में हल्की ब्लीडिंग, कम दर्द और लगभग 3–5 दिन तक खून आना सामान्य माना जाता है। लेकिन कई बार महिलाओं को पीरियड्स के दौरान खून के थक्के (Blood Clots) देखने को मिलते हैं। छोटे और कभी-कभार आने वाले थक्के आमतौर पर चिंता का कारण नहीं होते। हालांकि अगर ये हर महीने नियमित रूप से आ रहे हैं या आकार में बड़े हैं, तो यह असामान्य माना जाता है और डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी हो जाता है।
पीरियड्स में खून के थक्के आने के लक्षण
पीरियड्स में खून के थक्कों के लक्षण इस प्रकार होते हैं
अगर थक्के छोटे हैं और कभी-कभार ही आते हैं, तो यह सामान्य है। यदि हर महीने नियमित रूप से थक्के आते हैं और उनका आकार बड़ा होता है, तो यह चिंता का विषय बन जाता है। असामान्य खून के थक्के आमतौर पर हर दो घंटे में पैड या टैम्पोन बदलने की जरूरत पैदा कर देते हैं। यदि इस स्थिति को नजरअंदाज किया जाए तो गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

पीरियड्स में खून के थक्के आने के मुख्य कारण
यूटेरस में रूकावट (Uterine Obstruction): यूटेरस की दीवार पर अतिरिक्त दबाव पड़ने पर खून का प्रवाह बाधित होता है, जिससे खून के थक्के बनने लगते हैं।
फाइब्रॉइड (Fibroid): यूटेरस में नॉन-कैंसर ट्यूमर बनने से हैवी ब्लीडिंग और खून के थक्के आने लगते हैं। फाइब्रॉइड की वजह से हार्मोनल बदलाव भी होते हैं, जिससे थक्कों का खतरा बढ़ता है।
एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis): इसमें एंडोमेट्रियल टिश्यू यूटेरस के बाहर बन जाता है। जब यह टिश्यू ब्लीड करता है तो खून के थक्के बनने लगते हैं।
एडिनोमायोसिस (Adenomyosis): जब एंडोमेट्रियल लाइन यूटेरस में अत्यधिक बढ़ जाती है, तब पीरियड्स के दौरान खून के थक्के आ सकते हैं।
हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance): एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का संतुलन बिगड़ने से यूटेरस लाइन चौड़ी हो जाती है। इससे ब्लीडिंग ज्यादा होती है और खून के थक्के बनने लगते हैं।
मिसकैरिज (Miscarriage): यदि प्रेग्नेंसी के दौरान किसी कारण से मिसकैरिज होता है, तो ब्लीडिंग के साथ खून के थक्के भी आ सकते हैं।
वॉन विलेब्रांड डिसऑर्डर (Von Willebrand Disorder): यह एक रक्त विकार है, जिसमें महिलाओं में पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग और खून के थक्के देखने को मिल सकते हैं।

पीरियड्स में खून के थक्के की जांच
खून के थक्के की समस्या की जांच के लिए डॉक्टर सबसे पहले महिला की मेडिकल हिस्ट्री लेते हैं। इसमें वे पेल्विक सर्जरी, प्रेग्नेंसी और बर्थ कंट्रोल से जुड़ी जानकारी पूछ सकते हैं।
अगर आवश्यक हो तो इमेजिंग टेस्ट जैसे अल्ट्रासाउंड या MRI की मदद से यूटेरस और ओवरी की स्थिति देखी जाती है। यह जांच यह सुनिश्चित करने के लिए की जाती है कि कोई फाइब्रॉइड, ट्यूमर या अन्य समस्या तो नहीं है।
पीरियड्स में खून के थक्के का इलाज
पीरियड्स में खून के थक्कों का इलाज मुख्य रूप से दो तरीकों से किया जाता है:
हार्मोनल थैरेपी (Hormonal Therapy)
बर्थ कंट्रोल पिल्स, इन्ट्रायूटेरिन डिवाइस (IUD) और अन्य दवाइयों का उपयोग करके यूटेरस लाइन की ग्रोथ को कम किया जाता है। इससे हैवी ब्लीडिंग कम होती है और खून के थक्कों की समस्या नियंत्रित होती है।
सर्जिकल उपचार (Surgery)
Dilation & Curettage (D&C): मिसकैरिज के बाद या खून के थक्के रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। मायोमेक्टॉमी (Myomectomy): फाइब्रॉइड को हटाने के लिए की जाती है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी: छोटे फाइब्रॉइड को हटाने के लिए। हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy): गंभीर मामलों में पूरे यूटेरस को हटाना पड़ता है।
पीरियड्स में छोटे और कभी-कभार आने वाले खून के थक्के सामान्य हैं। लेकिन अगर थक्के बड़े हों, लगातार आएं और ब्लीडिंग बहुत ज्यादा हो, तो डॉक्टर से तुरंत सलाह लेना जरूरी है। समय पर इलाज से समस्या आसानी से नियंत्रित की जा सकती है और महिला स्वास्थ्य सुरक्षित रहता है।

