अच्छे भविष्य के लिए ऐसे करें बेटियों को तैयार, पूरी जिंदगी करेंगी आपका धन्यवाद

punjabkesari.in Wednesday, Oct 11, 2023 - 11:52 AM (IST)

दुनियाभर में आज यानी की 11 अक्टूबर का दिन अंतराष्ट्रीय बालिका दिवस के रुप में मनाया जाता है। इस मौके पर देश के कई शहरों में लड़कियों को उनके अधिकारों और बराबरी के प्रति दर्जा दिलवाने के लिए और उन्हें जागरुक करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। बदलते समय के साथ लड़कियों की परिस्थिति में भी काफी सुधार आया है। माता-पिता भी अपनी बेटियों में बिना किसी भेदभाव किए हुए उन्हें आगे बढ़ने का मौका दे रहे हैं। पेरेंट्स यही चाहते हैं कि उनकी लड़कियां हर किसी एक्टिविटी में आगे रहें। ऐसे में आज अंतराष्ट्रीय बालिका दिवस पर आपको बताते हैं कि आप अपनी बेटी को भविष्य के लिए कैसे तैयार कर सकते हैं...

आत्मनिर्भर बनाएं 

आमतौर पर लड़कियां शादी से पहले माता-पिता और अपनी शादी के बाद में पति पर निर्भर हो जाती हैं। जिस कारण उन्हें कई बार स्वाभिमान के साथ जीने का भी अधिकार नहीं मिलता। ऐसे में आप शुरु से ही अपनी बेटियों को आत्मनिर्भर बनाएं ताकि वह अपने हक की लड़ाई खुद जीत सके। जब तक वह अपने पैरों पर खड़ी नहीं होंगी लोग उनकी इज्जत नहीं करेंगे और उनकी बातों का खास महत्व भी नहीं देंगे। 

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खुद फैसले लेना सिखाएं 

आज भी समाज में ऐसे कई सारे परिवार हैं जहां लड़कियों को अपने फैसले नहीं लेने दिए जाते। इसके कारण वह बचपन से ही निर्णय नहीं ले पाती और दूसरों पर निर्भर होकर रह जाती हैं। यह चीज आप अपनी बेटियों के साथ न करें उनके बेहतर भविष्य के लिए जरुरी है कि आप उनकी जिंदगी की फैसले उन्हें स्वंय ही लेने दें। उन पर कोई भी फैसला थोपने की कोशिश न करें।  

सेल्फ केयर 

अक्सर लड़कियां या घर की औरतें अपने पर ध्यान देने से ज्यादा घर के सदस्यों, बच्चों, माता-पिता की परवाह में लग जाती हैं। लेकिन आप अपनी बेटियों को यह जरुर सिखाएं कि उन्हें दूसरों के साथ-साथ अपना ख्याल भी रखता है। यदि घर की बेटियां सेहतमंद और खुश होंगी तभी वह दूसरों का ख्याल रख पाएंगी। 

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अपने लिए लड़ना 

पेरेंट्स की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि वह अपने बेटियों को गलत चीजों के बारे में बोलना सिखाएं। यदि उनके साथ कोई चीज गलत हो रही है तो उसका विरोध करें। जब वह अपने लिए आवाज उठाएंगी तभी दूसरे भी उनके हक में बोलेंगे। मानसिक रुप से बेटियों को मजबूत बनाना और उन्हें खुद के लिए लड़ना सिखाना पेरेंट्स की जिम्मेदारी है। 

ना बोलना सिखाएं 

बेटियों को यह चीज जरुर सिखाएं कि हर जगह उन्हें अपनी इच्छाओं को दबाते हुए दूसरों के लिए हमेशा हां नहीं बोलना है। यदि उन्हें लगता है कि उनके हां बोलने से जीवन में नेगेटिव प्रभाव पड़ेगा तो वहां पर उन्हें ना बोलना है। किसी दबाव में आकर उन्हें कोई भी निर्णय लेने की जरुरत नहीं है। 

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palak

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