“जिस सपने की बात ‘अमिताभ के शो’ में की थी, वो अब हकीकत बनी” बिना हाथों की तीरंदाज से रचा इतिहास
punjabkesari.in Sunday, Nov 09, 2025 - 02:39 PM (IST)
नारी डेस्क: नवंबर 2024 की बात है। अमिताभ बच्चन के मशहूर टीवी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में जब जम्मू-कश्मीर की पैरा-आर्चर शीतल देवी पहुंचीं, तो उन्होंने पूरे देश को भावुक कर दिया था। जब उनसे उनके सपनों के बारे में पूछा गया, तो शीतल ने बड़ी सादगी से कहा था “सर, मेरा सपना है कि एक दिन मैं एबल-बॉडी एथलीट्स के साथ खेलूं।” उस वक्त शायद किसी ने सोचा भी नहीं था कि सिर्फ एक साल बाद, नवंबर 2025 में, यह सपना सच हो जाएगा।
इतिहास रचने वाली बेटी
शीतल देवी, जो बिना हाथों के पैदा हुईं, आज तीरंदाजी की दुनिया में किसी मिसाल से कम नहीं हैं। जम्मू-कश्मीर के कटरा इलाके से आने वाली यह युवा खिलाड़ी पहले ही पैरा वर्ल्ड चैंपियन बन चुकी हैं। अब उन्होंने एक और इतिहास रच दिया है 6 नवंबर 2025 को उन्हें भारतीय एबल-बॉडी जूनियर टीम में चुना गया है। यह मौका उन्हें एशिया कप स्टेज 3 (जेद्दाह) के लिए मिला है। यह पहली बार है जब किसी भारतीय पैरा-एथलीट को एबल-बॉडी टीम में जगह दी गई है।
“हर असफलता से सीखा, कभी हार नहीं मानी” चयन के बाद शीतल ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट लिखा- “जब मैंने शुरुआत की थी, तो मेरा एक छोटा सा सपना था एबल-बॉडी खिलाड़ियों के साथ खेलना। कई बार कोशिश की, लेकिन नहीं हो पाया। हर बार असफल हुई, फिर सीखा और आगे बढ़ती गई। आज मेरा वो सपना एक कदम और करीब आ गया है।” उनकी यह बात न सिर्फ खिलाड़ियों के लिए, बल्कि हर सपने देखने वाले इंसान के लिए प्रेरणा बन गई है।
संघर्ष से सफलता तक का सफर
शीतल ने बिना हाथों के बावजूद जो कर दिखाया है, वह मानव इच्छाशक्ति की सबसे बड़ी कहानी है। उन्होंने अपने पैरों से धनुष चलाना सीखा। उनके कोचों ने बताया कि शुरुआत में संतुलन बनाना भी मुश्किल था, लेकिन उनकी जिद और मेहनत ने सब कुछ संभव बना दिया। 2023 में शीतल ने पैरा आर्चरी वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था और वहीं से उनकी पहचान विश्व स्तर पर बनी।
देश भर में खुशी और गर्व की लहर
शीतल के चयन की खबर सामने आते ही सोशल मीडिया पर बधाइयों की बौछार हो गई। खेल मंत्रालय से लेकर बड़े-बड़े खिलाड़ियों तक, सभी ने इस उपलब्धि को “भारत की बेटी की जीत” बताया। लोगों ने कहा “शीतल ने साबित कर दिया कि अगर हौसले बुलंद हों तो शरीर की सीमाएँ कभी रुकावट नहीं बनतीं।”
अब सभी की नजरें जेद्दाह एशिया कप पर हैं, जहां शीतल पहली बार एबल-बॉडी खिलाड़ियों के साथ एक ही टीम में हिस्सा लेंगी। उनका यह कदम न केवल भारतीय खेल इतिहास के लिए, बल्कि दुनिया भर के पैरा-एथलीट्स के लिए नई उम्मीद लेकर आया है। शीतल देवी की कहानी सिर्फ एक खेल उपलब्धि नहीं, बल्कि साहस, धैर्य और आत्मविश्वास की कहानी है। उन्होंने दिखा दिया कि अगर सपने सच्चे हों और जिद मजबूत, तो कोई भी सीमा असंभव नहीं होती।
“जिसने खुद को नहीं रोका, उसे कोई नहीं रोक सकता — और शीतल देवी इसका सबसे सुंदर उदाहरण हैं।”

