Amazing: बिना मिट्टी 10 सालों से फल-सब्जी उगा रहीं पुणे की यह महिला

punjabkesari.in Thursday, Jul 16, 2020 - 12:58 PM (IST)

गार्डनिंग करना हर किसी के बस की बात नहीं होती। खासकर जब आप शहर में फ्लैट या बड़ी-बड़ी बिल्डिंग में रह रहे हो। मगर, पुणे की नीला रेनाविकर पंचपोर (Neela Renavikar Panchpor) मॉर्डन सिटी में रहती है और ऐसा काम कर रही हैं, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता। दरअसल, नीला रेनाविकर पिछले 10 सालों से अपनी घर की छत पर बिना मिट्टी फल व सब्जियां उगा रही हैं।

अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है। तो चलिए नीला से ही जानते हैं आखिर कैसे वह बिना मिट्टी फल-सब्जियां उगा रही हैं।

कॉस्ट अकाउंटेंट नीला रेनाविकर

पुणे की रहने वाली नीला कॉस्ट अकाउंटेंट के साथ मैराथन रनर भी हैं। वह पिछले 10 सालों से घर की 450 स्क्वायर फीट जमीन पर गार्डनिंग कर रही हैं और वो भी बिना मिट्टी। वह अपने टेरेस गार्डन में सिर्फ फल ही नहीं बल्कि साग, सब्जियां भी उगाती हैं।

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कैसे तैयार करती हैं खाद?

नीला इसके लिए किसी खास तकनीक का इस्तेमाल नहीं करती। वह पौधों की खाद बनाने के लिए सूखे पत्ते, किचन का गीला कचरा और गोबर का यूज करती हैं। मिट्टी की तुलना में यह चीजें ज्यादा देर तक नम रहती हैं, जो पौधों की सेहत के लिए बेहतर है। साथ ही इससे केचुले के लिए भी अच्छा वातावरण बन जाता है।

किचन वेस्ट से तैयार की खाद

नीला प्राकृति की काफी करीब है। किचन के कचरे को बेकार फेंकना उन्हें अच्छा नहीं लगता था। फिर उन्होंने अपने उन दोस्तों से मदद मांगी, जो कम्पोस्टिंग करते थे। बस फिर क्या यहीं से उनका सफर शुरू हो गया और उन्होंने भी गीले कचरे की खाद बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने पहले किचन वेस्ट को अलग करना सीखा और फिर उससे खाद तैयार की।

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इंटरनेट से सीखी गार्डनिंग

गार्डनिंग सीखने के लिए उन्होंने इंटरनेट का सहारा भी लिया। पौधों के लिए बिस्तर तैयार करना, पानी देने का तरीका, कौन-सी खाद देनी है... इन सबकी जानकारी नीला ने इंटरनेट से ही प्राप्त की है। सबसे पहले उन्होंने कम्पोस्ट को बालटी में डालकर खीरे के बीज, जो 40 दिन में उग गए। इसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने मिर्च, टमाटर, आलू और फल उगाना शुरू कर दिया।

बिन मिट्टी की खेती के तीन बड़े फायदे

1. नीला का कहना है कि बिना मिट्टी गार्डनिंग करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे पौधे में कीड़े नहीं लगते।
2. दूसरा इससे पौधों के साथ वीड या फालतू घास नहीं उगती इसलिए उनकी छटांई का काम नहीं करना पड़ता।
3.  तीसरा मिट्टी वाली खेती में पौधों को ज्यादा पोषण व पानी चाहिए होता है लेकिन इस कम्पोस्टड में उन्हें सभी चीजें मिल जाती हैं।

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गार्डनिंग के साथ रीसाइक्लिंग भी

गार्डनिंग के साथ नीला किचन के कचरे, पुराने डब्बों, प्लास्टिक के बर्तनों की रीसाइक्लिंग भी कर लेती हैं। जहां कचरे से वह खाद बनाती हैं वहीं पुराने डब्बों, प्लास्टिक का यूज वह पौधे उगाने के लिए कर लेती हैं। वह करीब 100 डिब्बों को गार्डनिंग के लिए यूज कर चुकी हैं। कभी-कभार वह अपने पड़ोसियों से भी प्लास्टिक के डिब्बे उधार ले लेती हैं। नीला हर हफ्ते सब्जियां व फल तोड़ती हैं, जिसे वह अपने परिवार के अलावा अपने आस-पास व दोस्तों में बांटती हैं।

दोस्तों के साथ शेयर करती हैं टिप्स

नीला इस हुनर को सिर्फ अपने तक ही नहीं रखती बल्कि दोस्तों के साथ भी शेयर करती हैं, जिसके लिए उन्होंने फेसबुक ग्रुप बनाया है। वह अक्सर लोगों के साथ अपनी गार्डनिंग के टिप्स व ट्रिक्स बेझिझक शेयर करती रहती हैं। उनके इस ग्रुप के साथ करीब 30000 लोग जुड़ चुके हैं।

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Content Writer

Anjali Rajput

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