निर्जला एकादशी के दिन चुपचाप कर लें ये गुप्त उपाय, बिना व्रत के भी मिलेगा पूर्ण फल
punjabkesari.in Tuesday, Jun 03, 2025 - 07:03 PM (IST)

नारी डेस्क: निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी या भीम एकादशी भी कहा जाता है। यह वर्ष की सभी 24 एकादशियों में सबसे पुण्यदायिनी और कठिन व्रत मानी जाती है। इस दिन जल तक का त्याग कर व्रत रखा जाता है। शास्त्रों में इस पावन मौके पर जल, अन्न, वस्त्र, फल, छाता, पंखा, बिस्तर, और शरबत का दान करना उत्तम माना गया है। गुप्त दान, यानी बिना बताए दान करना, और भी अधिक फलदायी माना जाता है।
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इस दिन दान का विशेष महत्व क्यों है?
पुराणों के अनुसार, जो व्यक्ति वर्ष भर की एकादशियों का पालन नहीं कर पाता, वह सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत करके सभी व्रतों का फल प्राप्त कर सकता है। इस दिन किया गया दान अक्षय पुण्य देता है। इस दिन भूखों को भोजन कराना सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है। गर्मियों में प्याऊ या मिट्टी का घड़ा देना पुण्यदायक है। माना जाता है कि गरीबों को कपड़े और चप्पल देने से पापों का नाश होता है, वहीं फल और मीठा शरबत का दान करने से रोगों से मुक्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं इस दिन छाता और पंखा का दान देना भी बेहद शुभ माना गया है।
गुप्त और चमत्कारी उपाय
वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिन संध्या के समय तुलसी के नीचे *घी का दीपक जलाने और भगवान विष्णु का ध्यान करने से घर में धन-धान्य और सुख-शांति बनी रहती है। इस दौरान ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का 108 बार जाप करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और मानसिक शांति मिलती है।
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किस्मत बदल सकते हैं ये उपाय
शास्त्रों के अनुसार पीले कपड़े में सिक्का लपेटकर तिजोरी में रखने से धन में वृद्धि होती है। इस दिन साफ जल में चावल डालकर चांद को अर्पित करने से घर में मानसिक तनाव, कलह और दरिद्रता दूर होती है। निर्जला एकादशी सिर्फ उपवास का दिन नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, सेवा और दान का पर्व है। इस दिन किए गए छोटे-छोटे लेकिन निष्ठापूर्ण उपाय आपकी किस्मत बदल सकते हैं।