जन्‍माष्‍टमी पर जा रहे हैं मथुरा-वृंदावन तो देखना न भूलें ये 7 खास जगहें

punjabkesari.in Sunday, Sep 02, 2018 - 01:11 PM (IST)

भारत में कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। कुछ लोग इस दिन को अपने शहर में तो कुछ कृष्ण नगरी मथुरा-वृंदावन में सेलिब्रेट करते हैं। जाहिर है, कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी के दिन मथुरा-वृंदावन की धूमधाम में इस दिन को सेलिब्रेट कौन नहीं करना चाहेगा। आज हम आपको मथुरा के कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां जन्माष्ट्री बिल्कुल अलग तरीके से मनाई जाती है। चलिए जानते हैं जन्माष्टमी की धूम के लिए मशहूर मथुरा के कुछ मंदिर।
 

जन्‍माष्‍टमी पर होती है अलग रौनक
1. बांके बिहारी मंदिर
मथुरा के वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर में आप जन्माष्टमी की अलग ही धूम देख सकते हैं। जन्माष्टमी पर इस मंदिर को खास तरीके से सजाया जाता है। 54 एकड़ में फैला इस मंदिर को बनाने में 12 साल लगे थे।

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2. प्रेम मंदिर
श्री कृष्ण का यह मंदिर सफेद संगमरमर के पत्थरों से बनाया गया है। जन्‍माष्‍टमी के दिन इस मंदिर के बगीचा और म्यूजिकल फव्वारा को खास तरीके सेस सजाया जाता है। इसके अलावा इस मंदिर के रेस्तरां में इस दिन खास तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं।

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3. श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर
भगवान श्री कृष्ण जन्मस्थान यह मंदिर बेहद खूबसूरत है। यहां जन्माष्टमी का पर्व भी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। सफेद पत्थर से बना यह मंदिर इस दिन अलग-अलग लाइटों से सजा दिखाई देता है।

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4. कंस किला
मंदिरों के अलावा मथुरा में देखने के लिए कंस किला भी है लेकिन फिलहाल यह खंडहर बन चुका हैं। इसके बावजूद भी यमुना किनारे स्थित इस किले को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।

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5. पोतरा कुंड
एक बंद रेलिंग से घिरा यह किसी बड़े कुएं की तरह लगता है। पुरानी कहानी के मुताबिक, देवकी ने यहां अपने बच्चों के कपड़े (पोतरा) घोया थी, जिसके कारण इसका नाम पोतरा कुंड पड़ गया।

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6. गोकुल
गोकुल के घूमने के लिए दाऊजी मंदिर, राजाठाकुर मंदिर, योग माया मंदिर, गोपाल लालजी मंदिर, गोकुल नाथ मंदिर, मोरवाला मंदिर, ठकुरानीघाट और नंद भवन हैं। इसके अलावा यहां एक चम्त्कारी कुंड भी है, जहां स्नान करने के लिए पर्यटक दूर-दूर से आते हैं।

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7. निधिवन
मथुरा के सबसे दिलचस्प स्थानों में से एक है। निधिवन एक छोटा झाड़ीदार-सा स्थान हैं, जहां भगवान श्री कृष्ण ने 5000 साल पहले गोपियों के साथ रासलीला की थी। यहां पर एक छोटा-सा तलाब भी बना है। कहा जाता है कि यहां आज भी भगवान अपनी गोपियों के साथ आकर रास-लीला रचाते हैं।

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Content Writer

Anjali Rajput

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