नीट की तैयारी कर रहे छात्र ने किया सुसाइड, पिता बोले- इस बार परीक्षा में कम नंबर...
punjabkesari.in Monday, Jul 21, 2025 - 01:00 PM (IST)

नारी डेस्क: बिहार की राजधानी पटना के दानापुर इलाके में एक बेहद दर्दनाक मामला सामने आया है। यहां NEET (नीट) की तैयारी कर रहे एक छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यह घटना विजय विहार कॉलोनी स्थित साधना कॉटेज हॉस्टल की है, जहां छात्र किराए पर रहकर कोचिंग कर रहा था। आत्महत्या करने वाले छात्र का नाम रोहित कुमार मेहता था जिसकी उम्र 22 साल थी। वह बक्सर जिले के चनवथ गांव के रहने वाले थे। उसके पिता पंकज कुमार मेहता गांव के मुखिया हैं। रोहित पटना में रहकर नीट की तैयारी कर रहा था और एक मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेना चाहता था।
रूममेट ने बताया क्या हुआ उस दिन
रोहित के रूम पार्टनर आर्यन ने पुलिस को बताया कि रविवार को वह अपने दोस्तों के साथ पटना के ISKCON मंदिर घूमने गया था। जब वह रात को लगभग 8:30 बजे हॉस्टल वापस लौटा, तो देखा कि कमरा अंदर से बंद है। उसने रोहित को कई बार आवाज दी लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उसे चिंता हुई, तो उसने अन्य छात्रों और हॉस्टल के मालिक को इस बारे में बताया।
दरवाजा तोड़कर अंदर देखा गया तो फंदे से लटका था छात्र
सभी मिलकर दरवाजा तोड़कर कमरे के अंदर घुसे। अंदर का नज़ारा देख सबके होश उड़ गए। रोहित पंखे के हुक से फंदा लगाकर लटका हुआ मिला। हॉस्टल के मालिक ने तुरंत पुलिस और रोहित के परिवार वालों को इसकी सूचना दी। कुछ ही देर में दानापुर पुलिस और फॉरेंसिक टीम (FSL) मौके पर पहुंच गई।
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पुलिस और FSL टीम मौके पर
सूचना मिलते ही दानापुर पुलिस और फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की टीम मौके पर पहुंची और कमरे की तलाशी ली। शव को कब्जे में लेकर अनुमंडलीय अस्पताल पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। मृतक के पिता पंकज कुमार मेहता, जो कि बक्सर जिले के चनवथ गांव के मुखिया हैं, ने बताया कि रोहित ने इस बार NEET की परीक्षा दी थी लेकिन अच्छे मार्क्स नहीं आ सके।
वे बोले, “वह कई दिनों से तनाव में था। हम सब उसे समझा रहे थे कि अगली बार अच्छे से तैयारी करना। उसकी शादी भी इसी साल 11 अप्रैल को हुई थी। हम सोच रहे थे कि शादी के बाद मानसिक स्थिति बेहतर होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।”
कोचिंग और तैयारी की जानकारी
रोहित पहले बिहटा में रहकर पढ़ाई करता था, फिर पटना आकर सगुना खगौल रोड स्थित फिजिक्स वाला संस्थान में दोबारा कोचिंग जॉइन की थी। परिजनों के अनुसार, कम अंक और उम्मीदें टूटने से वह अवसाद (डिप्रेशन) में चला गया था।
यह घटना एक बार फिर से इस बात की ओर इशारा करती है कि प्रतियोगी परीक्षाओं का दबाव युवाओं की मानसिक स्थिति पर भारी पड़ रहा है।