नोबेल शांति पुरस्कार 2018 से सम्मानित हुईं नादिया मुराद

punjabkesari.in Saturday, Nov 10, 2018 - 02:14 PM (IST)

नादिया मुराद को आतंकी संगठन ISIS द्वारा महिलाओं के साथ रेप के खिलाफ आवाज उठाने के लिए नोबल पुरस्कार 2018 से सम्मानित किया गया। यह पुरस्करा उन लोगों को दिया जाता है जो विश्व शांति फैलाने का प्रयास या मदद करते हैं। यौन हिंसा के प्रति जागरुकता फैला रही नादिया की कहानी बहुत दर्दनाक रही है। जिसका अपहरण साल 2014 में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के आंतकवादियों ने उनकी बहन के साथ किया था। इस संघर्ष के दौरान नादिया ने अपनी मां व 6 भाइयों को खो दिया। 

दर्द भरी है नादिया की कहानी
नादिया करीब 3 महीने आतंकियों की गिरफ्त में रही उनके साथ दिन रात कई बार रेप किया गया। उस समय उनकी उम्र 21 साल थी। इस दौरान उन्हें कई तरह की तकलीफ का सामना करना पड़ा। 3 महीनों में उसे कई बार बेचा और खरीदा गया।  

किसी तरह आतंकियों के कब्जे से छूटकर वह किसी तरह शरणार्थी बनकर जर्मनी पहुंच गईं। उसे वहां रहने के लिए आसरा मिला और अपने दर्द को उसने एक किताब के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया। नादिरा द्वारा लिखी इस किताब का नाम  'द लास्ट गर्ल : माई स्टोरी ऑफ कैप्टिविटी एंड माय फाइट अगेंस्ट द इस्लामिक स्टेट' है। इसमें बताया गया है कि किस तरह इस्लामिक स्टेट के आतंकी महिलाओं को जबरन उठा ले जाते हैं और उनका बंधक बनाकर रेप करते हैं। शारीरिक शोषण के बाद उन्हें किस तरह मौत की घाट उतार दिया जाता है। 

नादिया अभियान की संस्थापक
नादिया मुराद बसी ताहा का जन्म इराक के कोजो में 1993 में हुआ था। वह नादिया अभियान की संस्थापक हैं। इस संस्था द्वारा उन महिलाओं और बच्चों की मदद की जाती है जो नरसंहार, सामूहिक अत्याचार और मानव तस्करी के पीड़ित होते हैं।

Content Writer

Priya verma