Please मम्मा-पापा बस एक बार हमारी बात तो सुन लो... हर बार गलती हमारी नहीं होती
punjabkesari.in Friday, Oct 31, 2025 - 01:07 PM (IST)
नारी डेस्क : अगर आपका बच्चा अब टीनएज (Teenage) में कदम रख चुका है, तो यह आर्टिकल आपके लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है। क्योंकि इस उम्र में बच्चों और माता-पिता के बीच जो दूरी बनती है, वह अक्सर “कम्युनिकेशन गैप” के कारण होती है न कि प्यार की कमी से। पेरेंटिंग कोच ने उन 5 बातों के बारे में बताया है, जो हर टीनएजर अपने माता-पिता से कहना तो चाहता है, मगर अक्सर हिम्मत नहीं जुटा पाता।
टीनएज: समझ और गलतफहमी का पुल
टीनएज वह उम्र होती है जब बच्चे अपनी पहचान तलाश रहे होते हैं, अपने फैसले खुद लेना चाहते हैं। वहीं माता-पिता उन्हें सुरक्षित रखना चाहते हैं। इसी कोशिश में मनमुटाव, झगड़े, और चुप्पी आ जाती है। कई बार बच्चे सोचते हैं — “मम्मा-पापा हमारी बात समझेंगे तो हैं नहीं… फिर बताने का क्या फायदा?” लेकिन उनके मन में बहुत सी बातें दब जाती हैं, जो अगर समझ ली जाएं तो रिश्ता और मजबूत बन सकता है। आपको बताते है वो 5 बातें जो हर टीनएजर कहना चाहता है।

पहले हमारी बात तो सुन लीजिए
हर टीनएजर चाहता है कि मम्मी-पापा उसे सुने, जज न करें। बता दें की कई बार माता-पिता बिना पूरी बात सुने डांट या गुस्सा दिखा देते हैं। लेकिन अगर वे बस सुन लें, तो बच्चे का आधा डर और आपका आधा गुस्सा दोनों गायब हो जाते हैं।
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हर वक्त हमें सुधारने की कोशिश मत कीजिए
बच्चे कहते हैं – “मम्मी-पापा, हर बार हमें समझाने या सुधारने की जरूरत नहीं। कभी-कभी हमें सिर्फ आपका साथ चाहिए, लेक्चर नहीं।” पेरेंट्स अगर इस समय बस सुनने और भरोसा देने का काम करें, तो बच्चा खुलकर अपनी बात रख पाएगा।
हमारे दोस्तों पर मत कीजिए शक
टीनएजर्स अक्सर अपने दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद करते हैं। वे कहना चाहते हैं – प्लीज मम्मी-पापा, हमारे दोस्तों या कपड़ों की पसंद पर इतना शक मत कीजिए। आपने हमें अच्छे संस्कार दिए हैं। हम वही निभा रहे हैं। बस थोड़ा भरोसा रखिए।

जो बात आपको छोटी लगती है, हमारे लिए बड़ी होती है
कई बार बच्चों की बातें पैरेंट्स को मामूली लगती हैं — जैसे कोई झगड़ा, कोई असफलता या कोई दोस्ती। लेकिन बच्चे के लिए वही बात बहुत बड़ी होती है। जब माता-पिता उनकी फीलिंग्स को सीरियसली लेते हैं, तो बच्चे का डर और असुरक्षा दोनों घटने लगते हैं।
कभी हमारे नजरिए से भी सोचिए
कभी-कभी बच्चा रूड या चिड़चिड़ा लग सकता है, लेकिन अंदर ही अंदर वो खुद से जूझ रहा होता है। ऐसे में अगर पैरेंट्स थोड़ी देर के लिए खुद को बच्चे की जगह रखकर सोचें, तो रिश्ता और भी खूबसूरत बन सकता है।
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नतीजा: भरोसा, प्यार और खुलापन
अगर माता-पिता इन छोटी-छोटी बातों को समझ लें, तो टीनएज में होने वाली दूरियां मिट सकती हैं। हर बच्चा चाहता है कि उसके मम्मी-पापा बस सुनें, समझें और भरोसा करें। यही रिश्ता मजबूत और प्यार से भरा बनाता है।

